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निजी व सरकारी विद्यालयों के छात्रों के अपार आइडी बनाने में आ रही अड़चन

ठाकुरगंज प्रखंड के सभी निजी व सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चों की अपार आइडी (ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री) बनाया जाना है.

ठाकुरगंज. ठाकुरगंज प्रखंड के सभी निजी व सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चों की अपार आइडी (ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री) बनाया जाना है. यह काम प्रखंड में बीते कई दिनों से चल रहा है. लेकिन अपार आइडी अब बच्चों, शिक्षकों के साथ अभिभावकों के लिए मुसीबत बन गयी है. क्योंकि आधार कार्ड, स्कूल के रजिस्टर में बच्चों के नाम में अंतर है. नाम में कई प्रकार की त्रुटि है. एडमिशन रजिस्टर में सुधार के लिए बच्चों के अभिभावकों को कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ेगा. दरअसल एडमिशन रजिस्टर की शुरुआत कक्षा एक से होती है. अपार आइडी जनरेट करने के लिए बच्चों का नाम एडमिशन रजिस्टर, आधार कार्ड व स्कूल के यू-डायस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) में सेम होना चाहिए. लेकिन अधिकतर बच्चों का नाम इन तीन जगह में मिसमैच (अंतर) है. यही कारण है कि अपार आइडी जनरेट नहीं हो पा रही है. इस कारण शिक्षक व अभिभावक परेशान हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर कई प्रधान शिक्षकों ने बताया कि ज्यादातर बच्चों के आधार कार्ड, यू-डायस व एडमिशन रजिस्टर में नाम मैच नहीं कर रहा. एडमिशन रजिस्टर के अनुरूप यू-डायस व आधार कार्ड में नाम सुधार के बाद ही अपार आइडी जनरेट हो सकती है. जिन बच्चों का मैच हुआ है, उनकी अपार आइडी जनरेट हुई है. बताते चलें कि यह काम देश भर के स्कूलों में चल रहा है. शिक्षकों के अनुसार, यह काम केवल एक ही सर्वर में हो रहा. इस कारण सर्वर की दिक्कत ज्यादा है. स्थिति ऐसी है कि रात में काम करना पड़ रहा है. वहीं इस मामले में शिक्षकों ने माना की अपार आइडी भविष्य में बच्चों के लिए अच्छा है. लेकिन वर्तमान में बच्चों के नाम एडमिशन रजिस्टर व आधार कार्ड में मिसमैच हो रहा है. एडमिशन रजिस्टर में एक बार एंट्री होने के बाद सुधार करना बेहद पेचीदा काम है. इसका सुधार कोर्ट के माध्यम से होता है. ऐसी स्थिति में अभिभावकों को कोर्ट के चक्कर काटना पड़ सकता है. आधार कार्ड को एडमिशन रजिस्टर के अनुसार बनवाना उचित होगा.

बच्चों के नाम सुधारने में झेलनी पड़ रही है परेशानी

यू डायस प्लस के नियमानुसार किसी बच्चे का नाम विद्यालय के दाखिला-पंजी और आधार कार्ड में एकसमान होना अपरिहार्य है. असमानता की स्थिति में बच्चे के नाम के स्पेलिंग में केवल एक ही अक्षर को हटाया अथवा जोड़ा जा सकता है. इस नियम के चक्कर में कई बच्चों का अपार कार्ड जेनरेट ही नहीं हो पा रहा है.

आधार कार्ड में संसोधन के लिए लगाना होगा कैंप

इस मामले में ठाकुरगंज के वार्ड पार्षद अमित सिन्हा ने कहा कि इन दिनों अपार कार्ड के निर्माण को लेकर जो भगदड़ अभिभावकों में देखी जा रही है, उसको देखते हुए पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर आधार कार्ड में सुधार का कार्य करवाना विभाग की जिम्मेवारी है.

क्या है अपार आइडी

यह देश में सभी छात्रों के लिए डिजाइन की गयी एक विशेष पहचान प्रणाली है. यह पहल सरकार द्वारा शुरू किए गए वन नेशन, वन स्टूडेंट आइडी कार्यक्रम का हिस्सा है, जो 2020 की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ है. अपार आइडी में 12 अंकीय कोड प्राप्त होगा. इसमें बच्चों के स्कोर कार्ड, मार्कशीट, ग्रेडशीट, डिग्री, डिप्लोमा, प्रमाण पत्र व सह-पाठ्यचर्या उपलब्धि समेत अपने सभी शैक्षणिक क्रेडिट को डिजिटल रूप से संग्रहित रहेगा. यह आइडी शिक्षा के लिए एक स्थायी डिजिटल पहचान के रूप में काम करती है. अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) व डिजिलॉकर से जुड़ा हुआ है. जहां परीक्षा परिणाम और शैक्षणिक प्रमाण-पत्र और दस्तावेज जैसे अपने आवश्यक दस्तावेज तक सुरक्षित रूप से रख सकते हैं. यह स्थानांतरण, प्रवेश परीक्षा, प्रवेश या नौकरी के आवेदनों के लिए प्रमाणीकरण को सुव्यवस्थित करता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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