मौसम बदलने का असर पालतू पशुओं पर भी देखने को मिल रहा है. लगातार ठंड और गर्मी के बदलाव के कारण पशुओं को बुखार, लार टपकने, सांस लेने संबंधी बीमारी हो रही है. छोटे जानवरों बकरी, कुत्ता में यह प्राय: देखने को मिल रहा है. खासकर गाय व भैंस में ठंड बढ़ने से परेशानी हो रही है. पहले से दूध में कमी आ गयी है. मुंहपका-खुरहा की शिकायत आ रही है. पशुपालन विभाग के चिकित्सकों की मानें, तो अभी 30 फीसदी तक पशु इसकी चपेट में हैं.
पशुपालन विभाग ने अस्पतालों में उपलब्ध करायी दवा
जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ अंजली सिन्हा ने बताया कि पशुपालन विभाग की ओर से सभी 36 अस्पतालों में दवा उपलब्ध करा दी गयी है. साथ ही चिकित्सकों को समुचित इलाज के निर्देश दिये गये हैं. भवनाथपुर के मनचुन मंडल ने बताया कि वे खुद गाय पालते हैं. गाय को बुखार है. खूर में घाव हो गया है, जबकि उसे वैक्सिन दिलायी गयी थी. गाय को चमड़ी में दाग हो गया है. अधिक दाग होने पर घाव बन रहा है. यह भी मौसम बदलने का प्रकोप है.पशु चिकित्सकों की मानें तो पशुओं में तेजी से जानलेवा खुरहा एवं मुंहपका रोग फैल रहा है. इसके चपेट में आये पशुओं का इलाज संभव नहीं हो पाता है, लेकिन पशुपालक थोड़ी सावधानी बरतें, तो इस रोग पर काबू पाया जा सकता है. यह छूत की बीमारी है.
क्या है खुरहा व मुंहपका रोग पशु चिकित्सक डॉ गुलाबचंद्र ने बताया कि यह बीमारी फटे खुर वाले पशुओं को तेजी से अपने आगोश में लेता है. रोग ग्रसित भैंस, गाय, बैल, बकरी आदि पशुओं को प्रारंभ में तेज बुखार आता है. बुखार के बाद खुर के आसपास सूजन हो जाता है.कैसे हो रोग से बचाव
डॉ संतोष कुमार ने बताया कि पशुपालक द्वारा थोड़ी सावधानी बरतने पर इससे निपटा जा सकता है. यह एक वायरल रोग है जो तेजी से फैलता है. इसका कोई माकूल इलाज नहीं है. पशुओं का समुचित रखरखाव ही रोग का निदान है. इस बीमारी से ग्रसित पशुओं के खुर को फिनाइल युक्त पानी से दिन में चार-पांच बार अच्छी तरह धो दें. पोटाश परमैग्नेट या सोडियम बायकार्बोनेट के घोल से मुंह को अच्छी तरह धोना चाहिए. नहीं तो फिटकरी से भी जीभ को धो सकते हैं. अच्छी तरह से पशुओं का रखरखाव ही इस बीमारी का सही इलाज है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है