प्रतिनिधि बिंदापाथर बिंदापाथर भारत माता मेला परिसर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन बलरामपुर के बलदडुबा गोपाल आश्रम के कथावाचक नितिश कृष्ण महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर एक मधुर व सारगर्भित प्रसंग प्रस्तुत किया. महाराज ने कहा कि दुःख में तो हर कोई भगवान का स्मरण करता है, लेकिन सुख के समय यह स्मरण कम होता है. अगर हम सुख में भी ईश्वर को याद करें, तो जीवन में कोई भी दुःख नहीं आयेगा. उन्होंने आगे कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के अनेक रूप और चरित्र हैं. एक ओर वह भक्तों के उद्धारक हैं, तो दूसरी ओर गीता का उपदेश देने वाले ब्रह्मनिष्ठ भी हैं. श्रीकृष्ण के जन्म का उद्देश्य भक्तों का उद्धार और दुष्टों का संहार था. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है, “जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं अवतार लेकर दुष्टों का नाश और साधुजन का कल्याण करता हूं. महाराज ने श्रीकृष्ण के अवतार को नित्य और निमित्त अवतार के रूप में समझाया. निमित्त अवतार विशेष कारण से आते हैं, जैसे श्रीकृष्ण का अवतार कंस और शिशुपाल जैसे दुष्टों के नाश के लिए हुआ. वहीं, नित्य अवतार सभी जीवों के उद्धार के लिए होते हैं. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन उन्होंने हमेशा मुस्कुराते हुए उन समस्याओं का समाधान किया और दूसरों को भी यही संदेश दिया. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर झांकी का आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने नृत्य किया.
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