मोरहाबादी मैदान. शपथ ग्रहण समारोह में कलाकारों ने मनमोहक नृत्य पेश किये
शपथ ग्रहण समारोह में सबके पांव थिरके, सबने लिया सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंदरांची. स्थान मोरहाबादी मैदान. अवसर हेमंत सोरेन की अगुवाई में गुरुवार को झारखंड की नयी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह का. चारों तरफ समर्थकों की उत्साहित भीड़. राज्यभर के लोगों का जुटान. समारोह का गवाह बनने देशभर के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता आ रहे थे. और इन मेहमानों और समर्थकों का स्वागत झारखंड के समृद्ध नृत्य और गीत की धुन पर हो रहा था. कलाकार मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर रहे थे. यह आयोजन सांस्कृतिक कार्य मंत्रालय ने किया था, ताकि शपथ ग्रहण समारोह और भी खास हो. इस अवसर पर झारखंड के ख्याति प्राप्त कलाकारों ने मनमोहक नृत्य पेश किये. ऐसा समा बांधा कि पूरा परिसर झूम उठा. संताली, मुंडारी, छऊ आदि नृत्य से दर्शकों का मनोरंजन चरम पर था. झारखंड की अलग-अलग कला संस्कृति को एक मंच पर लाया गया.
मडुआ रोटी खाय खाय, राइज लागिन जान देली…
नागपुरी सिंगर ज्योति साहू ने शपथ ग्रहण समारोह में अबुआ माय माटी, अबुआ झारखंड, जय झारखंड, जोहार झारखंड, भारत की शान है झारखंड… गीत गाकर सबका अभिनंदन किया. इस गीत ने दर्शकों में उत्साह भर दिया. कार्यक्रम की शुरुआत भी उनके गीत हमर बिरसा भगवान से हुई. इसके बाद ज्योति साहू ने मडुआ रोटी खाय खाय, राइज लागिन जान देली…की प्रस्तुति दी. वहीं झारखंड के प्रसिद्ध कलाकार पवन रॉय ने स्वर्ग जइसन सुंदर, हाय रे हमर सोना झारखंड, हाय रे हमर हीरा झारखंड… गीत गाकर सबको भावुक कर दिया. इसके बाद मंच पर एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत हुई. अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सुखराम पाहन ने अपनी साथी टीम के साथ मुंडारी लोकगीत की पेशकश की. इस गीत को सुन सब झूम उठे. झारखंडी थीम पर आधारित पोशाक सबको अपनी ओर आकर्षित कर रही थी.माथे पर कलश लेकर महिलाओं ने किया मनमोहक नृत्य
वहीं सरिता कच्छप व साथी कलाकारों ने कड़सा नृत्य की प्रस्तुति दी. माथे पर कलश लेकर महिलाओं का यह नृत्य सबको आकर्षित कर रहा था. कलश के साथ कलाकारों का संतुलन बेजोड़ था. सरिता कच्छप के इस गीत ने सामूहिक नृत्य मंच की खूबसूरती में चार चांद लगा दिया. कार्यक्रम के अंत में पंकज रॉय के ठेठ नागपुरी गीत ने सबको खूब झुमाया.छऊ नृत्य के माध्यम से महिषासुर मर्दिनी का मंचन
समारोह में छऊ नृत्य का आकर्षण ही अलग था, जिसे प्रभात कुमार महतो और साथी कलाकारों ने पेश किया. छऊ नृत्य के माध्यम से महिषासुर मर्दिनी का मंचन किया गया, जो काफी रोचक था. मंच पर छऊ कलाकारों के साथ मोर, शेर जैसे जानवर इस नृत्य में जान डाल रहे थे. छऊ की पोशाक और गेटअप दर्शकों को आकर्षित कर रहा था. प्रस्तुति के अंत में जब सभी कलाकार मंच पर आये दर्शकों ने तालियों से उनका हौसला बढ़ाया. वहीं गुलाब सिंह मुंडा का पाइका नृत्य (मार्शल आर्ट नृत्य) भी खूब भाया. लक्ष्मी नाथ महतो के नागपुरी लोक नृत्य और खद्दी उरांव के उरांव नृत्य (यह एक सामूहिक नृत्य है जिसमें स्त्री-पुरुष दोनों भाग लेते हैं) ने भी मन मोह लिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है