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sonpur mela : सोनपुर में सांस्कृतिक संगम की ओर से रामायण मंचन का हुआ आयोजन

sonpur mela : रामायण मंचन के चौथे दिन की शुरुआत प्रभु राम के अद्भुत संवाद से हुई. राम जब नांव उतराई केवट को देते हैं तो केवट बड़ी विनम्रता से उतरायी लेने से मना कर देता है.

सोनपुर. रामायण मंचन के चौथे दिन की शुरुआत प्रभु राम के अद्भुत संवाद से हुई. राम जब नांव उतराई केवट को देते हैं तो केवट बड़ी विनम्रता से उतरायी लेने से मना कर देता है. प्रतिउत्तर में उसका संवाद हृदय में उतर जाता है. केवट कहता है कि प्रभु जैसे मैंने आप को नदी पार करायी है उसी तरह जब मैं आप के घाट आऊंगा तब आप मुझे भवसागर से पार करा दिजीयेगा. मेरी उतरायी मुझे मिल जायेगी. इसी कड़ी में कहानी आगे बढ़ती है और मंच पर मात पितृ भक्त श्रवण कुमार की कथा प्रस्तुत होती है. युवा दशरथ एक बार आखेट खेलने जंगल गये होते हैं. भूल वश शब्दवेधी वाण से श्रवण कुमार की हत्या हो जाती है. श्रवण के माता-पिता दशरथ को श्राप देते हैं कि जिस तरह पुत्र वियोग में हम अपने प्राण त्याग रहे हैं, उसी तरह तुम भी पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर मरोगे और दशरथ के साथ वही घटना घटती है. राम का वियोग उनकी मृत्यु का कारण बनती है. आज मंच पर भरत कैकेई संवाद में राम के प्रति भरत के अगाध प्रेम और श्रद्धा की एक मिसाल प्रस्तुत होती है. भरत भाई के रूप में आदर्श का प्रतिमान बन जाते हैं. जग में आज भी उदाहरण स्वरूप भरत जैसे भाई होने की उपमा दी जाती है. इसलिए क्रम में भरत श्री राम से मिलने चित्रकूट जाते हैं. वहां राम की चरण पादुका को सिर पर उठा कर लाते हैं. उसी पादुका को सिंहासन पर रख कर तपस्वी भेष में चौदह वर्ष तक राज्य का संचालन करते हैं. वर्तमान समय में यह प्रसंग कितनी बड़ी सीख देती है. आज कोट कचहरी में सबसे ज्यादा मुकदमा भाई भाई के बीच का ही देखने को मिलेगा. ऐसे समय काल में राम और भरत का आचरण समाज को घर परिवार को जोड़ने का महामंत्र है.

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