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Darbhanga News: रिवर रैचिंग योजना के तहत कमला व करेह में छोड़ी जायेंगी 7.60 लाख मछली अंगुलिकाएं

Darbhanga News:रिवर रैचिंग योजना के तहत कमला व करेह नदियों में सात लाख 60 हजार मछली अंगुलिकाएं छोड़ी जायेगी.

Darbhanga News: बहादुरपुर. मछली पालन को बढ़ावा देने एवं नदियों की जैव विविधता को बनाए रखने के लिए रिवर रैचिंग योजना के तहत कमला व करेह नदियों में सात लाख 60 हजार मछली अंगुलिकाएं छोड़ी जायेगी. इसके लिए दो प्रखंडों का चयन किया गया है. बहेड़ी प्रखंड के करेह नदी में हथौड़ी उत्तरी पंचायत स्थित कोठरा घाट पर आगामी 30 नवंबर को दो लाख मछली अंगुलिकाएं छोड़ा जायेगा. वही बेनीपुर के कमला नदी में जरिसों पंचायत के त्रिमुहानी घाट पर एक दिसंबर को दो लाख मछली अंगुलिकाएं छोड़ा जाएगा. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. दोनों नदी में रेहु, कतला व नैनी मछली के सात लाख 60 हजार के अलावा कमला नदी में स्वेच्छा से 96 हजार व करेह नदी में 80 हजार मछली अंगुलिकाएं छोड़ा जाएगा.

बढ़ेगी जैव विविधता, रोजगार सृजन में भी होगा सहायक

यह पहल न केवल जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद करेगी, बल्कि रोजगार सृजन एवं आर्थिक लाभ भी प्रदान करेगी. योजना पारिस्थितिक तंत्र को स्थिर बनाने, मत्स्य आवास के क्षरण को रोकने और मत्स्य उत्पादकता में सुधार के साथ-साथ स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए बनायी गयी है. जैसे-जैसे मानव जनसंख्या बढ़ रही है, उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन की मांग भी बढ़ रही है. मछली प्रोटीन का एक सस्ता और सुलभ स्रोत है. इसलिए इस योजना का उद्देश्य पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से मछली उत्पादन बढ़ाना व नदियों के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना है. यह योजना पारंपरिक मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करेगी. साथ ही स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका का मजबूत साधन बनेगी. इसके अलावा नदी पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता बढ़ावा देने में भी मदद करेगी.

कतला, रेहु व नैनी प्रजाति की मछलियां छोड़ी जायेंगी

जिला मत्स्य पदाधिकारी अनुपम कुमार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के तहत यह योजना शुरू की गयी है. इस योजना के तहत करेह नदी में 30 नवंबर को दो लाख फिंगर लिंग्स एवं कमला नदी में एक दिसंबर को दो लाख फिंगर लिंग्स छोड़ी जायेंगी. इन फिंगर लिंग्स में मुख्यतः कतला, रेहु व नैनी प्रजाति की मछलियां होंगी. रिवर रैचिंग योजना का उद्देश्य नदियों की जैव विविधता को संरक्षित करना और मत्स्य संसाधनों का स्थायी उपयोग सुनिश्चित करना है.

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