कटिहार. भारतीय जीवन बीमा अभिकर्ता महासंघ के आह्वान पर चार दिवसीय विश्राम दिवस सह धरना कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को चौथे दिन भी एलआइसी अभिकर्ताओं ने काम से अलग रहकर विरोध जताया. मांगों के आलोक में एलआइसी मुख्य शाखा कार्यालय, कटिहार एवं तीन सेटेलाइट शाखाएं क्रमशः मनिहारी, गेड़ाबाड़ी एवं बारसोई के समक्ष भी कटिहार शाखा के तमाम अभिकर्ताओं ने चौथे दिन भी हड़ताल जारी रखी. मंडल अध्यक्ष निरंजन प्रसाद यादव ने कहा कि एक सितंबर 1956 को जब भारतीय जीवन बीमा निगम का गठन हुआ था. तब पूंजी के तौर पर भारत सरकार ने 5 करोड़ का आर्थिक योगदान दिया था.आज भारतीय जीवन बीमा निगम के पास कुल प्रबंधन परिसंपत्तियां लगभग 55 लाख करोड़ यानी 55 ट्रिलियन रुपये हैं. पूरे विश्व में भारतीय जीवन बीमा निगम सबसे बड़ी एवं एक नंबर की ब्रांडेड कंपनी है. 5 करोड़ से 55 लाख करोड़ रुपये का फंड मार्केट से लाने एवं जुटाने वाले तथा विश्व में भारतीय जीवन बीमा निगम को ब्रांडेड कंपनी तथा ऊंचाइयों तक ले जाने वाले हमारे अभिकर्ता ही तो हैं. देश में महंगाई आज चरम सीमा पर है. जीवन बीमा के स्टाफ लोगों का वेतन 2 हजार से बढ़कर 2 लाख रुपये हो गया. इसके अलावा उन्हें विभिन्न प्रकार की सुविधाएं भी दी जाती हैं. पर 1956 से हम अभिकर्ताओं का जो कमिशन स्ट्रक्चर लागू था. उसको बढ़ाने के बजाय और घटा दिया गया. ऊपर से क्लोबैक जैसा काला कानून लागू कर दिया गया. कमिशन स्ट्रक्चर में छेड़छाड़ एवं काला कानून लागू होने से आज देश के 14 लाख अभिकर्ता मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक रूप से परेशान तथा विक्षुब्ध हैं. मौके पर निरंजन प्रसाद यादव मंडल अध्यक्ष, हरि किशोर साह शाखा अध्यक्ष, जमीद शाखा उपाध्यक्ष, ओम प्रकाश शर्मा शाखा सचिव, प्रदीप कुमार गुप्ता कोषाध्यक्ष, पंकज कुमार सिंह, सतीश कुमार सिंह, बासी दत्ता, घनश्याम शाह, कमलेश्वरी प्रसाद यादव, निभाष चौधरी, राजेन्द्र मिस्त्री, फहीमुद्दीन अहमद, टिंकू कुमार, राजकिशोर साह, राजू झा, मनोज कुमार झा, अनिल श्रीवास्तव, संजय कुमार, तैयब अली, मनोज क्षत्रिय, संजीत कुमार दत्ता, चंद्र देव दास, रणजीत सिंह, संजय सिंह, सचिन कुमार, मनु कुमार एवं काफी संख्या में अभिकर्ता उपस्थित थे.
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