अनिल रंजन, चाईबासा.कोल्हान विश्वविद्यालय (केयू) के कॉलेजों में विद्यार्थियों के कम्युनिकेशन स्किल डेवलप करने व दूसरी भाषा सीखने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बने लैंग्वेज लैब सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. लैंग्वेज लैब में उपकरण उपलब्ध करा दिये गये, लेकिन मानव संसाधन (मैन पावर) नहीं मिला. ऐसे में तकनीकी जानकार नहीं होने से लैंग्वेज लैब का उपयोग नहीं हो पा रहा है. सरायकेला के केएस कॉलेज, टाटा कॉलेज, घाटशिला कॉलेज व केयू के पीजी विभाग में कुछ अंतराल के बाद लैंग्वेज लेबोरेट्री को खोला गया था. कुछ साफ-सफाई कर कक्ष को बंद रखा जाता है.
टाटा कॉलेज : धूल फांक रहे कंप्यूटर व उपकरण
टाटा कॉलेज व कोल्हान विवि के लैंग्वैज लैब में कंप्यूटर धूल फांक रहे हैं. सरकार ने कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, टेबुल व कुर्सी, एसी आदि की व्यवस्था की. हालांकि, इसके संचालन के लिए टेक्नीशियन उपलब्ध नहीं कराया गया. यहां 26 कंप्यूटर लगे हैं. लैब की कीमत 30 लाख रुपये के करीब आंकी जा रही है.केयू : लैब बना, लेकिन किसी को जिम्मेवारी नहीं दी
केयू के लैंग्वेज लैब में 31 कंप्यूटर व टेबुल व कुर्सियां लगे हैं. वहीं, प्रोजेक्टर, चार एसी, एलइडी टीवी व आदि उपलब्ध है. किसी ने विभाग का चार्ज तक नहीं लिया. ये कंप्यूटर और उपकरण शोभा बनकर रह गये हैं. केयू के लैंग्वेज लैब में लगे उपकरणों की कीमत 30 लाख रुपये से अधिक है.लैंग्वेज लैब का लाभ
लैंग्वेज लैब से विद्यार्थी दूसरी भाषा सीख पाते हैं. लैब में भाषाई रिसर्च होता है. कंप्यूटर में ईयर फोन के जरिए छात्रों को सीखने में मदद मिलती है. कोल्हान विवि में अंग्रेजी, बांग्ला और क्षेत्रीय जनजातीय भाषाओं के लिए प्रस्ताव तैयार हुआ था. इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों के के कम्युनिकेशन स्किल काे बेहतर करना था. इसके माध्यम से विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई कर पाते. प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी भी विद्यार्थी कर पाते.
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