Rourkela News: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) राउरकेला के जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा अभियांत्रिकी विभाग की ओर से ‘सतत पर्यावरण और ऊर्जा के लिए जैव-प्रक्रिया-2024’ शीर्षक चौथा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुक्रवार को प्रारंभ हुआ. एक दिसंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में पूरे भारत के 100 से अधिक प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं. सम्मेलन का उद्देश्य जैव-प्रक्रिया में नवीनताओं और रणनीतियों पर चर्चा करना है, जो पर्यावरणीय स्थिरता और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने में सहायक होंगी. सम्मेलन में बार्सिलोना विश्वविद्यालय (स्पेन), ग्वांगडोंग टेक्नियन (चीन), और ओउलू विश्वविद्यालय (फिनलैंड) के प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ वर्चुअली सम्मिलित हो रहे हैं. इसके अलावा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) खड़गपुर, मद्रास और रुड़की सहित भारत के प्रमुख संस्थानों और प्रमुख उद्योगों के प्रतिनिधि भी अपने विचार साझा कर रहे हैं.
सम्मेलन में प्रस्तुत शोध योगदानों की एक सार-संग्रह पुस्तक लॉन्च
सम्मेलन का उद्घाटन शुक्रवार को एनआइटी राउरकेला के टीआइआइआर भवन में हुआ. आयोजन सचिव प्रो अंगना सरकार ने स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया. उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि बीआर पलई (कार्यकारी निदेशक, संचालन, सेल-आरएसपी) थे, जो एनआइटी राउरकेला के पूर्व छात्र भी हैं. श्री पलई ने अपने संबोधन में जैव-प्रक्रिया के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जैव-प्रक्रिया जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने, कचरे को न्यूनतम करने और सतत औद्योगिक प्रथाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह सम्मेलन शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के व्यावहारिक समाधान प्रदान करेगा. इस कार्यक्रम का संचालन एनआइटी राउरकेला की अंतरराष्ट्रीय पीएचडी छात्रा सुहा इब्राहिम (सीरिया) ने किया. उद्घाटन समारोह के दौरान सम्मेलन में प्रस्तुत शोध योगदानों का एक सार-संग्रह पुस्तक भी लॉन्च की गयी. यह सम्मेलन एनआइटी राउरकेला की सतत प्रथाओं को बढ़ावा देने और पर्यावरण व ऊर्जा से संबंधित वैश्विक संवाद में योगदान देने की प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट उदाहरण है.
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन और उपयोग की दिशा में तेज हों प्रयास : एनआइटी निदेशक
एनआइटी राउरकेला के निदेशक प्रो के उमामहेश्वर राव ने सम्मेलन के विषय की प्रशंसा करते हुए कहा कि सततता, ऊर्जा, पर्यावरण और जैव-प्रक्रिया जैसे विषय आज के समय की मांग हैं. उन्होंने कहा कि हमें कार्बन-आधारित ऊर्जा स्रोतों से दूर जाकर वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन और उपयोग की दिशा में अपने प्रयास तेज करने चाहिए. एनआइटी राउरकेला के कुलसचिव प्रो रोहन धीमन ने खाद्य कचरे को ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तित करने में जैव-प्रक्रिया की क्षमता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग और वैश्विक स्तर पर लाखों टन भोजन की बर्बादी जैसे मुद्दे आज भी बड़ी चुनौतियां हैं. जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा अभियांत्रिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो देवेंद्र वर्मा ने शोधकर्ताओं से आग्रह किया कि वे अपने शोध को प्रयोगशाला से उद्योग तक ले जाने पर ध्यान केंद्रित करें. कार्यक्रम का समापन आयोजन सचिव प्रो कस्तूरी दत्ता द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.
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