रांची. राज्य सरकार ‘मंईयां सम्मान योजना’ की समीक्षा करायेगी. इसके लिए उच्चस्तरीय अंतरविभागीय समिति गठित की जायेगी. समिति में महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के अलावा सामाजिक क्षेत्र व राजस्व प्राप्ति से जुड़े विभागों को शामिल किया जायेगा. समिति योजना से संबंधित गुण-दोष व वित्तीय प्रावधान का सुझाव देगी. उच्चस्तरीय समिति सुझावों की समीक्षा कर प्राप्त फलाफल के अनुरूप योजना का कार्यांवयन सुनिश्चित करायेगी.
योजना का वित्तीय आकार बढ़ाने से पहले समीक्षा जरूरी
समिति की अनुशंसा के आलोक में महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग ने इससे संबंधित संकल्प जारी किया है. कहा है कि मंईयां सम्मान योजना का वित्तीय आकार बढ़ाये जाने के पहले इसके लिए पर्याप्त बजटीय प्रावधान व्यवस्था की समीक्षा जरूरी है. उसके बाद ही इस पर विचार करना उचित प्रतीत होता है. सरकार द्वारा संचालित अन्य समानांतर सब्सिडी आधारित योजनाओं की समरूप योजना का औचित्य स्थापित करते हुए इसमें अन्य विभागों से पुनर्विनियोग करने की आवश्यकता है. मंईयां सम्मान योजना की राशि बढ़ा कर 2500 रुपये प्रतिमाह करने से वर्तमान वित्तीय भार 6,000 करोड़ के अलावा लगभग 9000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. अतिरिक्त वित्तीय प्रावधान के प्रबंधन के लिए राजस्व स्रोतों को बढ़ाने का एक्शन प्लान बनाने की आवश्यकता है. इसके लिए झारखंड खनिजधारी भूमि उप कर अनिधिनयम के माध्यम से राजस्व संग्रहण में वृद्धि करने पर विचार किया जा सकता है.अनुपूरक बजट के बाद ही दिसंबर की राशि का हो सकेगा भुगतान
मंईयां सम्मान योजना के लाभुकों को दिसंबर महीने से हर माह 2,500 रुपये दिये जाने हैं. यह राशि राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश होने के बाद ही लाभुकों को प्राप्त हो सकेगी. अनुपूरक के माध्यम से बजटीय उपबंध प्राप्त होने के बाद ही भुगतान किया जा सकेगा.
इस वर्ष 5,900 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा राज्य सरकार पर
मंईयां सम्मान योजना के तहत 59 लाख लाभार्थियों का पंजीयन किया गया है. योजना के तहत “17,700 करोड़ के वार्षिक व्यय का आकलन है. इससे राजकोष पर हर माह “885 करोड़ (प्रतिवर्ष ~10,620 करोड़) का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ रहा है. लाभार्थियों को चालू वित्तीय वर्ष में दी जानेवाली राशि में “1500 की वृद्धि पर “5,900 करोड़ अतिरिक्त व्यय होगा.
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