Khunti MNREGA Scam Verdict: अपर न्यायायुक्त की अदालत ने खूंटी जिले के ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के सेवा से बर्खास्त कनीय अभियंता राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को दोषी पाकर शनिवार को पांच वर्ष की सजा सुनायी. साथ ही उस पर अदालत ने सात लाख रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया.
जुर्माना नहीं देने पर भुगतनी होगी 8 माह की अतिरिक्त सजा
जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर राम बिनोद सिन्हा को 8 माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी. 12 योजनाओं के मद से 88 लाख रुपये के फर्जी दस्तावेज पर अवैध निकासी मामले में सिन्हा को यह सजा सुनायी गयी है. अदालत ने 25 नवंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसले की तारीख निर्धारित की थी. शनिवार को अदालत ने सजा सुनायी.
248 योजनाओं के लिए आवंटित राशि के बगन का आरोप
आरोपी पर विभिन्न योजनाओं में करोड़ों रुपये आवंटित सरकारी राशि को जान-बूझकर आपराधिक षड्यंत्र करके फर्जी चालान पर अवैध निकासी करने का आरोप था. कनीय अभियंता राम बिनोद प्रसाद सिन्हा ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर स्वीकृत मनरेगा की 248 योजनाओं के लिए आवंटित करोड़ों रुपये की राशि का गबन करने का आरोप है.
2010 में खूंटी जिले में दर्ज हुए थे 14 केस
वर्ष 2010 में खूंटी जिले में मनरेगा घोटाला के 14 केस दर्ज किये गये थे. बाद में मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा जोड़ने पर एसीबी ने टेकओवर कर अनुसंधान शुरू किया. मामले के अनुसंधानकर्ता ने जांच पूरी करते हुए 20 जून 2011 को अभियोजन स्वीकृति के साथ चार्जशीट दाखिल की थी.
मनरेगा घोटाला के दूसरे मामले में 14 साल बाद आया फैसला
मनी लाउंड्रिंग मामले में फरार चल रहे आरोपी राम बिनोद सिन्हा को प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की टीम ने कोलकाता से 18 जून 2020 को गिरफ्तार किया था. तब से वह जेल में ही है. मनरेगा घोटाले के दूसरे मामले में 14 वर्ष बाद फैसला आया है.
Also Read
court news : चाईबासा मनरेगा घोटाला मामले में इडी स्टेटस रिपोर्ट दायर करे : हाइकोर्ट
पूजा सिंघल मामला: ED ने कैसे बनाया ऑपरेशन का ब्लू प्रिंट, CISF व CRPF का भी मिला साथ