सिमडेगा. अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए लंबे समय तक संघर्ष करने वाले प्रोफेसर देवराज प्रसाद को सफलता मिल गयी. कहते है न ऊपर वाला जब देता है, तो छप्पर फाड़ कर देता है. यह कहावत यहां पर पूरी तरह से चरितार्थ हुआ. यह सफलता उनके लिए दोहरी खुशी लेकर आयी. शहरी क्षेत्र के ठाकुर टोली निवासी प्रो देवराज प्रसाद सिमडेगा कॉलेज सिमडेगा में 1988 से कॉमर्स की पढ़ाई विद्यार्थियों को कराने का कार्य शुरू किया. किंतु सरकार ने उन्हें वेतनमान नहीं दिया. हाल के वर्षो में कुछ राशि उन्हें दी गयी. जो उनके योगदान को देखते हुए नाकाफी थे. इसके बावजूद 1988 से लगातार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अकेले दम पर सिमडेगा कॉलेज सिमडेगा में शत प्रतिशत कॉमर्स का रिजल्ट कराते रहे. आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने बच्चों के शिक्षण कार्य को नहीं रोका. अपने खेतों की धान को बेचकर अपने परिवार को चलते हुए कॉलेज में लगातार बच्चों को कॉमर्स विषय की शिक्षा देते रहे. प्रोफेसर देवराज द्वारा पढ़ाये गये दर्जनों छात्र-छात्राएं आज सरकारी नौकरी में है. कई छात्र और छात्राएं चार्टर्ड अकाउंटेंट बनकर अपने जीवन को संवारने का काम किया. किंतु प्रोफेसर देवराज अपने हक और अधिकार के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए 1988 से लगातार संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ा. अपनी जायज मांग को लेकर सरकार, विश्वविद्यालय और राजभवन का दरवाजा खटखटाया. इतने लंबे संघर्ष के बावजूद प्रोफेसर देवराज ने हार नहीं मानी. इसी का नतीजा है कि प्रो देवराज प्रसाद को सफलता मिली. कॉलेज में एनसीसी ऑफिसर के रूप में भी कई वर्षो तक उन्होंने बेहतर कार्य किया. उनके लगातार रिजल्ट व संघर्ष को देखते हुये 1988 से उन्हें नियमित कर दिया गया. इतना ही नहीं प्रो देवराज प्रसाद को वरीयता सूची के आधार पर रांची विश्वविद्यालय के पत्रांक बी/911/24 30 नवंबर के द्वारा सिमडेगा कॉलेज सिमडेगा का प्रभारी प्रिंसिपल भी बनाया गया. प्रो देवराज त्याग, कर्तव्य एवं संघर्ष का जीवंत उदाहरण है. प्रो देवराज अपने बीते हुए उन दिनों को याद करते हुए भावुक भी हुए. प्रोर देवराज ने कहा कि विश्वविद्यालय के द्वारा जो जिम्मेवारी उन्हें दी गई है. उसे वे बखूबी निभाते हुए सिमडेगा कॉलेज सिमडेगा को ऊंचा मुकाम दिलाने में अपना संपूर्ण योगदान देंगे.
बच्चों को नि:शुल्क कोचिंग भी दी
प्रोफेसर देवराज प्रसाद ने अभाव में रहने के बावजूद बच्चों को शिक्षा देने का कार्य नहीं छोड़ा. श्री प्रसाद ने दर्जनों विद्यार्थियों को नि:शुल्क कोचिंग की भी सुविधा प्रदान की. आज वे बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कार्य कर रहे है.
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