बक्सर
. पूज्य संत श्री खाकी बाबा सरकार की पुण्यस्मृति में आयोजित होने वाले 55वें श्री सीताराम विवाह महोत्सव के तीसरे दिन शनिवार को कई कार्यक्रम आयोजित किये गये. सबसे पहले सुबह काल में आश्रम के परिकरों के द्वारा श्री रामचरितमानस जी का नवाह्न पारायण पाठ किया गया. इस दौरान दामोह की संकीर्तन मंडली के द्वारा श्री श्री हरि नाम संकीर्तन अखंड अष्टयाम जारी रहा. महोत्सव के दौरान चल रहे श्री वाल्मीकि रामायण कथा के तीसरे दिन श्री कौशलेश सदन अयोध्या के पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य जी श्री विद्या भास्कर जी महाराज के द्वारा श्रीमद् वाल्मीकि रामायण की कथा में कहा कि मनुष्य को सदैव धर्म शास्त्र के अनुकूल आचरण करना चाहिए. धर्मशास्त्र के विरुद्ध किए जाने आचरण से बचना चाहिए.दुनिया में सनातन धर्म से बढ़कर कुछ भी नहीं
क्योंकि, धर्मशास्त्र के विरुद्ध आचरण करने वाले व्यक्ति का पतन निश्चित है. विशेष रूप से तपस्या के बल पर समर्थ अर्जित करना और उसे समर्थ के बल पर धर्मशास्त्र के विरुद्ध आचरण करने वाले व्यक्ति का पतन निश्चित ही होता है. रामायण, बालि, हिरण्यकश्यप इसके उदाहरण है. इन सभी ने तपस्या के बल पर समर्थ अर्जित किया और उसे समर्थ का उपयोग धर्मशास्त्र के विरुद्ध आचरण करने के लिए किया और स्वयं भगवान के हाथों इनका वध हुआ. महाराज श्री ने कहा की दुनिया में सनातन धर्म से बढ़कर कुछ भी नहीं है. एकमात्र ही धर्म है जिसमें भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए स्वयं तत्पर रहते हैं. दुनिया के तमाम धर्म में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए आए हो लेकिन सनातन में भक्त प्रहलाद सहित अनेकों उदाहरण है. जब भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए स्वयं धरा धाम पर अवतरित हुए. महाराज श्री ने कथा के दौरान धर्म परिवर्तन पर भी खुलकर बोला.सेवा के आडंबर को दिखाकर धर्म परिवर्तन किया जा रहा है
उन्होंने कहा कि आज सेवा के आडंबर को दिखाकर धर्म परिवर्तन किया जा रहा है. महाराज श्री ने धर्म परिवर्तन करने वालों को आधुनिक कालनेमि बताते हुए कहा कि जिस प्रकार कालनेमि हनुमान जी को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहा था. उसी प्रकार हिंदू समाज को मिशनरियों के द्वारा दिग्भ्रमित किया जा रहा है. महाराज श्री ने बक्सर क्षेत्र की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि बक्सर क्षेत्र कौरुष देश में स्थित है. हमारे शास्त्रों में वर्णित है कि सोन से पश्चिम और काशी से पूर्व का क्षेत्र काैरुष देश कहा जाता है, जिसने इंद्र पर लगे गो हत्या के पाप से इंद्र को विमुक्त किया था. यह क्षेत्र देव निर्मित क्षेत्र है. यहां धन्य धान की कभी भी कमी नहीं होगी. वहीं वृंदावन के श्री फतेह कृष्ण शास्त्री की मंडली के द्वारा कालिया नाग मर्दन लीला का मंचन किया गया. आश्रम के परिकरों के द्वारा रामलीला के तहत जय विजय लीला एवं अवतार प्रयोजन की लीला का मंचन किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है