जाड़े में पिकनिक मनाने के साथ घूमने आते हैं पर्यटक, पर सावधानी भी है जरूरी
गिरिडीह जिले के उसरी फॉल की प्राकृतिक सुंदरता इन दिनों देखते बन रही है. चारों ओर जंगलों से घिरे उसरी फॉल, झर-झर की ध्वनि के साथ गिरता झरना और चिड़ियों की चहचहाहट बरबस पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यही वजह है कि दिसंबर शुरू होने के साथ ही यहां पर पर्यटकों का आने का सिलसिला शुरू हो गया है. दिसंबर से लेकर फरवरी माह तक यहां पर काफी संख्या में पर्यटक पिकनिक मनाने और घूमने के लिए आते हैं. स्वच्छ वातावरण के कारण यहां आने वाले पर्यटक घंंटों यहां की प्राकृतिक छटाओं को निहारते रहते हैं. पिकनिक मनाने के साथ-साथ कई लोग यहां झरने में नहाना भी पसंद करते हैं. हालांकि चट्टानें चिकनी होने के कारण लोगों को नहाने व इधर जानके के दौरान विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है. यहां पर थोड़ी सी लापरवाही घातक हो सकती है. झरने के पास चट्टानों में फिसलन रहती है. इसलिए यहां पर घूमने आने वाले पर्यटकों को सावधान कर दिया जाता है. विदित हो कि गिरिडीह मुख्यालय से लगभग 13 किमी की दूरी पर धनबाद जाने के रास्ते उसरी फॉल पड़ता है. गिरिडीह से गंगापुर पहुंचने के बाद उसरी फॉल जाने का रास्ता है. तोरण द्वार से आगे बढ़ने पर सड़क के किनारे बड़े-बड़े पेड़ व जंगल शीतल हवा का एहसास कराने लगते हैं. घुमावदार रास्ते से होते हुए पर्यटक यहां तक पहुंचते हैं. इस स्थल पर पर्यटक समूह में पहुंचकर अलग-अलग स्थानों पर बैठकर पिकनिक मनाते हैं. गीत-संगीत के बीच डांस भी खूब होता है. इसके बाद सेल्फी और फोटो खींचवाया जाता है. अहम बात यह है कि यहां से जल्द निकलने का किसी को भी दिल नहीं करता है. परंतु समय की पाबंदियों का भी ख्याल रखना लाजमी होता है.झारखंड सहित बिहार-बंगाल से पहुंचते हैं पर्यटक
यहां पर ना सिर्फ झारखंड बल्कि बिहार और बंगाल से भी पर्यटक पहुंचते हैं. बंगाल से पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या अधिक होती है. लोग अपने दोस्तों या फिर परिवार के साथ यहां पहुंचकर पिकनिक मनाते हैं और प्रकृति का लुत्फ उठाते हैं. यूं तो उसरी फॉल वर्षों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है. इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता रंजन सिन्हा, सुब्रतो घोष बताते हैं कि 70 के दशक में पर्यटक तांगे से गिरिडीह से उसरी फॉल पहुंचते थे. उस वक्त बंगाल से आने वाले पर्यटक जैसे ही गिरिडीह रेलवे स्टेशन पहुंचते थे वैसे ही दर्जन भर तांगा गाड़ी यहां पर आकर खड़ी हो जाती थी. लोग तांगा पर बैठक यहां पर पहुंचते थे. सुनसान वादियों में घोड़ों की टाप गुंजती थी. लेकिन अब तांगा की जगह लोग वाहनों से उसरी फॉल पहुंचते हैं.कई फिल्मों की हो चुकी है शूटिंग
उसरी फॉल में कई हिंदी व बांग्ला फिल्म की शूटिंग हुई है. वर्तमान में खोरठा और भोजपुरी एलबम की शूटिंग होती है. राजश्री प्रोडक्शन की धार्मिक फिल्म गंगाधाम में उसरी झरना के रूप में सौंदर्य को दर्शाया गया है. इसके अलावे बांग्ला फिल्म गुलमोहर, बाल्मीकि, अमानुष जैसी फिल्मों की शूटिंग भी हुई है. अभी कई नवोदित कलाकर खोरठा एलबम का फिल्मांकन यहां पर आकर करते हैं. इसके अलाव रील बनाने का भी नशा छाया हुआ है.
सुरक्षा में तैनात रहते हैं ग्राम रक्षा दल के सदस्य
सूनसान वादियां होने के कारण अपराधियों की भी सक्रियता रहती थी. पूर्व में आये दिन लूटपाट की घटना होती थी. इस वजह से सैलानियों की संख्या भी प्रभावित हुई थी. यूं तो पुलिस की पेट्रोलिंग गाड़ी गश्त करती थी. लेकिन असुरक्षा का बादल पूरी तरह से छंट नहीं पाया था. इस बीच स्थानीय युवकों द्वारा ग्राम सुरक्षा दल का गठन कर सैलानियों को सुरक्षा प्रदान करने के कार्य में जुट गये. पिछले कई वर्षों से यह व्यवस्था कायम है. साथ ही पुलिस के जवान भी वहां पर तैनात रहते हैं और समय-समय पर पुलिस की पेट्रोलिंग गाड़ी गश्त करती रहती है. शाम होने पर ग्राम सुरक्षा दल के सदस्य सभी सैलानियों को सतर्क करने के साथ-साथ अपने-अपने घर की ओर रवाना होने का आग्रह करते हैं.(सूरज सिन्हा)B
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