कटिहार. जिला एड्स बचाव नियंत्रण इकाई की ओर से एचआईवी एड्स की रोकथाम को लेकर कई तरह से पहल की जा रही है. इसको लेकर आधारभूत संरचना भी दुरुस्त किया गया है. तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रम व प्रचार-प्रसार के बावजूद एचआईवी एड्स में कमी आने का नाम नहीं ले रहा है. यहां तक की पिछले छह महीनों की जांच में 127 नये मरीज और मिले हैं. दरअसल रविवार को एक दिसंबर है. हर वर्ष एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस के अवसर पर दुनिया भर में एचआईवी एड्स को लेकर लोगों के बीच जागरूकता सहित कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते है. जिला एड्स विभाग की ओर से विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम किए जाने की तैयारी भी की गयी है. सुबह सदर अस्पताल से जागरूकता रैली निकाली जायेगी. साथ ही सदर अस्पताल के सभागार में एचआईवी एड्स पर कार्यशाला का भी आयोजन भी किया जायेगा. प्रभात खबर ने विश्व एड्स दिवस को ध्यान में रखकर एचआईवी एड्स पर पड़ताल की है. इस पड़ताल के दौरान यह बात सामने आयी कि हर वर्ष कुछ न कुछ एचआईवी- एड्स प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ ही रही है. जिले में पिछले अप्रैल महीने से अक्तूबर महीने तक की जांच यानी कि छह महीने में 127 लोग एचआईवी पॉजिटिव मिले है. पूरे जिले की बात करें तो 2260 एचआईवी पॉजिटिव मरीज है. जिसमें महिला 964, पुरुष 1095 शामिल है. चाइल्ड मेल 130, चाइल्ड फीमेल 71 है. इसके अलावा कटिहार जिले से दूसरे जिले के लिए ट्रांसफर आउट 185 मरीजों ने लिया है. जिसमें पुरुष 135, महिला 48 तथा चाइल्ड में दो मरीज शामिल है. जिले में एचआईवी विभाग के द्वारा अप्रैल महीने से लेकर अक्तूबर महीने तक की जांच में गर्भवती महिलाओं के कुल 59365 गर्भवती महिला की एचआईवी जांच की गयी. जिसमें पांच गर्भवती महिला एचआईवी पॉजिटिव मिले हैं. जबकि जनरल महिला व पुरुष की जांच में 14671 लोगों की जांच की गयी. जिसमें 122 लोग एचआईवी एड्स से पीड़ित मिले हैं. कुल मिलाकर जो जिले की स्थिति है. उस हिसाब से एचआईवी मरीजों के मामले में चिंताजनक है.
पलायन है एचआईवी फैलने का मुख्य कारण
जिले में रोजगार की कमी होने के कारण जिले के मजदूर वर्ग पलायन करने के लिए बड़े-बड़े शहर जाते है. स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलने की वजह से ही बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र से लोग दूसरे प्रदेश व बड़े शहर जाते है. जहां गलत संगत में पड़ कर एचआईवी ग्रसित हो जाते है. हालांकि एचआईवी की रोकथाम को लेकर कई तरह की व्यवस्था की गयी है. विभिन्न स्तरों पर सरकारी व गैर सरकारी एजेंसी के द्वारा जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाता है. इसके बावजूद एचआईवी एड्स रुकने का नाम नहीं ले रहा है.एआरटी भवन बन गया, पर सात सालों बाद भी नहीं हुआ अब चालू
एचआईवी पीड़ित मरीजों को बेहतर उपचार और दवाई के लिए ज्यादा दूर नहीं जाने के उद्देश्य से सदर अस्पताल परिसर में 2018 में ही एआरटी सेंटर की स्थापना की गई थी. लेकिन आज तक यह भवन एचआईवी पीड़ित मरीजों के उपयोग के लिए कारगर साबित नहीं हो पाया. आज भी इस भवन में एआरटी सेंटर नहीं खुल पाया. जिस कारण से मरीजों को दवाई के लिए सीधे मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है. दरअसल सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत काफी मशक्कत के बाद जिला एड्स बचाव नियंत्रण इकाई के पहल द्वारा सांसद कोष से सदर अस्पताल परिसर में एचआईवी एड्स के इलाज का उपचार के लिए 1000 वर्ग फीट में एआरटी सेंटर भवन बनाया गया था. पिछले 16 जुलाई 2018 को तत्कालीन सांसद तारीक अनवर ने अपने सांसद कोष इस भवन का निर्माण कराते हुए इसका उद्घाटन किया था. लेकिन आज तक यह भवन एचआईवी पीड़ित मरीजों के लिए कारगर साबित नहीं हो पाया. जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के उदासीनता के कारण आज तक इस भवन का लाभ मरीज को नहीं मिल पाया. 2018 में एआरटी सेंटर भवन बनकर पूरी तरह से तैयार था. लेकिन बिजली की वायरिंग की कंप्लीट नहीं होने के कारण इस भवन को उपयोग में नहीं लाया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है