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Health News : एड्स मरीजों के साथ भेदभाव नहीं, सहानुभूति रखें : अबु इमरान

विश्व एड्स दिवस के अवसर पर संत जेवियर्स कॉलेज में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक अबु इमरान शामिल हुए.

रांची (वरीय संवाददाता). विश्व एड्स दिवस के अवसर पर संत जेवियर्स कॉलेज में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक अबु इमरान शामिल हुए. मौके पर अबु इमरान ने कहा कि एड्स संक्रामक और जानलेवा बीमारी है, जिसका सही समय पर संपूर्ण जानकारी से ही बचाव के साथ ही रोकथाम संभव है.

उन्होंने झारखंड के संदर्भ में आंकड़ों को साझा करते हुए बताया कि यहां वर्तमान में एड्स के करीब 17000 मरीज हैं. इस दौरान उन्होंने एड्स संक्रमित मरीजों के साथ भेदभाव नहीं करने की बात कही. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के साथ सहानुभूति रखने के साथ ही अच्छा व्यवहार करना चाहिए. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने खासतौर पर युवाओं को जागरुक एवं सावधान रहने की जरूरत पर जोर दिया. एड्स के वायरस को फैलने से रोकने के लिए अनसेफ सेक्स प्रैक्टिस को रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया. रेड रिबन क्लब के सदस्य, संत जेवियर्स कॉलेज में अध्ययनरत विद्यार्थी और एनएसएस सदस्यों द्वारा स्वागत गीत और नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. इस दौरान एड्स से बचाव को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया. छात्र-छात्राओं के बीच क्विज कंपटीशन, पेंटिंग प्रतियोगिता इत्यादि का भी आयोजन किया गया. इस दौरान असिस्टेंट प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ एसएस पासवान, सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक अणिमा किस्कू, सत्यप्रकाश प्रसाद, रवि शंकर सहित अन्य लोग शामिल हुए.

59 आइटीसी सेंटर में जांच व इलाज की सुविधा

राज्य में 2002 में एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत हुई है. वर्तमान में राज्य में 59 आइटीसी सेंटर कार्यरत हैं, जिसमें हाइ रिस्क ग्रुप के मरीजों का टेस्ट किया जाता है. टेस्ट में जो मरीज पॉजिटिव पाये जाते हैं. फिर उन्हें एआरटी सेंटर में भेजा जाता है. यहां उनका मुफ्त इलाज किया जाता है.

झारखंड में हजारीबाग जिला में हाइ प्रीवैलेंस रेट

राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड लो प्रीवैलेंस रेट के अंतर्गत आता है, जबकि हजारीबाग जिला हाइ प्रीवैलेंस रेट के अंतर्गत आता है. निगरानी, जागरूकता और बीमारी की रोकथाम के लिए विभिन्न एनजीओ एवं कैंप के माध्यम से हाइ रिस्क ग्रुप के लोगों की पहचान कर उपचार किया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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