रांची (वरीय संवाददाता). रांची विश्वविद्यालय ने झारखंड हाइकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए 124 अतिथि शिक्षकों को समायोजित करने के बजाय निष्कासित कर दिया है. हाइकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि जब तक मामला विचाराधीन है, अतिथि शिक्षकों को कार्य से अलग नहीं किया जायेगा. इसके विरोध में रविवार को धुर्वा गोलचक्कर सेक्टर-02 में अतिथि शिक्षकों ने आपात बैठक की.
बैठक में निर्णय लिया गया कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उलगुलान आंदोलन शुरू किया जायेगा. जिसके पहले चरण में अतिथि शिक्षकों का एक शिष्टमंडल रांची विवि के कुलपति को ज्ञापन सौंपेगा. इसके साथ ही संघ ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो वे चरणबद्ध बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगे. इसके बाद शिक्षक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से संबंधित ज्ञापन सौंपेंगे. बैठक में डॉ आशीष कुमार, डॉ हैदर अली, डॉ नाजिश हसन, शिवकुमार सहित अन्य मौजूद थे. इसकी अध्यक्षता अरविंद प्रसाद ने की और संचालन डॉ धीरज सिंह सूर्यवंशी ने किया.अतिथि शिक्षकों ने कहा, पटरी से उतर गयी है शिक्षा व्यवस्था
विश्वविद्यालय प्रशासन और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव व सरकार की अंतिम कैबिनेट का दुरुपयोग करते हुए शिक्षकों को मौखिक रूप से कक्षाओं से हटा दिया. इसके बाद बॉयोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली से नाम हटाने, उपस्थिति रजिस्टर हटाने और परीक्षा ड्यूटी से अलग रखने जैसे कदम उठाये गये. इस निर्णय से शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतर गयी है. विद्यार्थी अपने कॉलेज में तो पहुंच रहे हैं लेकिन वहां शिक्षक नहीं है. मॉडल डिग्री कॉलेज घाघरा पूरी तरह से बंद हो गया है. बीएस कॉलेज लोहरदगा, केओ कॉलेज गुमला का कॉमर्स विभाग, मारवाड़ी कॉलेज रांची, डोरंडा कॉलेज, एसएस मेमोरियल कॉलेज, रामलखन सिंह यादव कॉलेज, जेएन कॉलेज सहित पीजी विभागों की स्थिति खराब है. विद्यार्थी बिना शिक्षकों के पढ़ाई कैसे करे और कैसे परीक्षा दे. इस मामले पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है