गालूडीह. ठंड आते ही गालूडीह क्षेत्र पश्चिम बंगाल के पर्यटकों से गुलजार होने लगा है. गालूडीह क्षेत्र में कई पर्यटक स्थल हैं, जिसमें गालूडीह डैम, बिरसा फन सिटी वाटर पार्क, प्राचीन रंकिणी मंदिर, सातगुड़ूम पहाड़ी नदी और सुवर्णरेखा नदी के तटवर्ती इलाका और माता वैष्णो देवी धाम मंदिर है. हालांकि इस बार डैम से पानी बहा देने से पर्यटकों में थोड़ी मायूसी है. यहां पर्यटक आते हैं. इसके लिए अलावे यहां कई छोटे-बड़े लॉज और होटल पर्यटकों के ठहरने का स्थल है. इसमें टूरिस्ट रिसोर्ट, केडी प्लेस, रंजनीगंधा, वाटर पार्क रिसोर्ट, समीक्षा लॉज आदि शामिल हैं. जहां पर्यटक ठहरते हैं, वहां के आसपास के पर्यटक स्थलों का सैर-सपाटा करते हैं. प्रति साल ठंड शुरू होते ही क्षेत्र में पश्चिम बंगाल के पर्यटकों का आगमन होता है. इस बार रिसोर्ट, लॉज, टेंपू वालों को उम्मीद है पर्यटकों का आगमन अधिक होगा. पर्यटकों के आगमन से क्षेत्र के लोगों को रोजगार भी मिलता है. पर्यटन के लिहाज से गालूडीह या घाटशिला में अधिक पर्यटक आते हैं. घाटशिला का बुरुडीह डैम और धारागिरी फॉल पर्यटकों का मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा है. घाटशिाल में भी पर्यटकों के ठहरने के कई छोटे-बड़े लॉज और होटल है.
इस्पात एक्सप्रेस का ठहराव सातों दिन नहीं होने से पड़ता है असर
गालूडीह में कोरोना काल में इस्पात एक्सप्रेस का ठहराव बंद हुआ था. दो साल बाद हाल ही में ठहराव शुरू भी हुआ तो सप्ताह में तीन दिन, बाकी दिन ट्रेन यहां नहीं रूकती है. इससे पश्चिम बंगाल से आने वाले पर्यटकों में ऊहापोह की स्थिति रहती है. कब ट्रेन रूकती है कब नहीं, यह पर्यटकों को पता नहीं चलता. सातों दिन ठहराव की मांग की जा रही है, पर रेल प्रशासन अब तक ध्यान नहीं दिया है. इस्पात एक्सप्रेस से सबसे अधिक पर्यटक गालूडीह स्टेशन पर उतरते थे.
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