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city news : थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का सहारा बना सदर अस्पताल का ब्लड बैंक

हर दिन 15 से 20 यूनिट खून की जरूरत पूरी कर रहा

रांची़ राज्य में थैलेसीमिया और सिकलसेल एनीमिया के मरीजों की बड़ी संख्या है. ये रक्त से जुड़ी अनुवांशिक बीमारियां हैं, जो रक्त कोशिकाओं के कमजोर होने और नष्ट होने से होती हैं. झारखंड के मरीजों को पर्याप्त उपचार की जरूरत है. इधर, सदर अस्पताल, रांची में 1156 थैलेसीमिया मरीज रजिस्टर्ड हैं. इन मरीजों को 15 या 30 दिन में रक्त की जरूरत पड़ती है. ऐसे में सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक से उन्हें बड़े पैमाने पर खून दिया जा रहा है. अस्पताल थैलेसीमिया मरीजों के लिए लाइफलाइन बन चुका है. विकसित तकनीक से होती है रक्त जांच : सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में सबसे विकसित तकनीक से रक्त की जांच की जाती है. पिछले साल इसी समय अस्पताल में 1013 बच्चे रजिस्टर्ड थे. हाल के कुछ महीनों में डे केयर के मरीजों को औसतन 500 से ज्यादा यूनिट रक्त उपलब्ध कराया गया है. यहा थैलेसीमिया पेशेंट को कुल 5,852 यूनिट रक्त उपलब्ध कराया गया. डे केयर में उपचार की सुविधा : सदर अस्पताल के 40 बेड के डे केयर में मरीजों के उपचार की सुविधा है. यहां रोजाना 10 से 15 यूनिट रक्त उपलब्ध कराकर उन्हें बीमारी से लड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. दवाइयों के साथ ही बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन (खून की कमी को पूरा) करना पड़ता है. वॉलंटियर कैंप आयोजन में भी आगे : राजधानी के ब्लड बैंकों में बिना रिप्लेसमेंट खून नहीं के बराबर ही उपलब्ध कराया जाता है, जबकि सदर ब्लड बैंक का यह आंकड़ा 50 प्रतिशत से ज्यादा है. वॉलंटियर डोनेशन और कैंप का आयोजन करने के मामले में भी रांची के सदर अस्पताल का ब्लड बैंक अन्य से काफी आगे है.

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