पटना. बिहार में सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक बदलाव तेजी से हो रहे हैं, विशेषकर महिलाओं के सशक्तीकरण के क्षेत्र में. ये बातें बिहार की पहली महिला आइपीएस अधिकारी मंजरी जरूहार ने बिहार संग्रहालय में अपनी पुस्तक मैडम सर पर संवाद कार्यक्रम के दौरान कही. उन्होंने बताया कि लड़कियों की मेहनत और प्रतिभा से समाज और राज्य को लाभ हो रहा है. संवाद में लेखक- साहित्यकार डॉ ध्रुव कुमार के सवालों के जवाब में श्रीमति मंजरी ने कहा कि महिलाओं को अपनी प्रगति और अपनी प्रतिभा को साबित करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. समय बदला है, अब स्थितियां बहुत हद तक अनुकूल हुई हैं. समाज का नारियों के प्रति तेजी से बदलती मानसिकता और और समय-समय पर सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का लाभ उन्हें हो रहा है. उन्होंने लड़कियों का आह्वान किया कि वह अपना लक्ष्य केंद्रित करके आगे बढ़ें और एकाग्रचित होकर मेहनत करें, उनकी सफलता से कोई उन्हें वंचित नहीं कर सकता. यह पुस्तक बिहार की एक प्रथम महिला आइपीएस अधिकारी मंजरी जारुहार की कहानी मात्र नहीं है, बल्कि यह आम लोगों की अपेक्षा के अनुरूप सही मूल्यों और न्याय की भावना से भरी एक महिला अधिकारी का अद्भुत और मार्मिक संस्मरण है. यह पुस्तक एक राज-परिवार के सुरक्षित वातावरण में पली – बढ़ी एक लड़की के भारतीय पुलिस सेवा की सबसे अगली कतार तक पहुंचने का मर्मस्पर्शी विवरण है. साथ ही एक महिला अधिकारी के साहस, दृढ़ता और नेतृत्वकला के सुखद परिणामों की दास्तान है, जो लोगों को, विशेष कर स्त्रियों को उनके अपने सपने पूरे करने की प्रेरणा और असंभव ऊंचाइयों तक पहुंचने की हिम्मत प्रदान करने वाली है. पुस्तक बिहार के पिछले पांच दशक के बदलते सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक प्रबंधन और परिवेश का जीवंत दस्तावेज है. मंजरी जरूहार ने अपने संस्मरण में ‘ऑपरेशन गंगाजल’ और भागलपुर आंखफोड़वा कांड की जांच के दौरान अपने अनुभव साझा किये, जिसमें उन्हें कई दबावों का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि पुलिस के लिए सही रास्ते पर चलना बेहद महत्वपूर्ण है. इस कार्यक्रम में बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह, नयी धारा के संपादक डॉ शिवनारायण, लेखिका ममता कालिया और अन्य साहित्यकार शामिल हुए.
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