संवाददाता ,गुठनी. प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भले ही कई रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती है पर विभाग की उदासीनता एवं संबंधित चिकित्सक के मनमानी के कारण इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है. सीएचसी में गुणवत्तापूर्ण इलाज के नाम पर खानापूर्ति हो रही है. खासकर जेनरल ओपीडी में इलाज के नाम पर बिना जांच व परामर्श के पर्ची पर चिकित्सक दवा लिख रहे हैं. सीएचसी में संचालित जेनरल ओपीडी में ऑन ड्यूटी तैनात चिकित्सक चाह कर भी मरीज को गुणवत्तापूर्ण इलाज नहीं कर पा रहे हैं. इसका मुख्य कारण ओपीडी में तैनात एक चिकित्सक पर 150 से 250 मरीज का दबाव. सुबह नौ से दोपहर दो बजे तक प्रथम शिफ्ट के ओपीडी में प्राय: 10 बजे आने वाले चिकित्सक चार घंटे में न्यूनतम 150 से 250 मरीज का इलाज करते हैं. चिकित्सक अगर एक मरीज को दो से ढाई मिनट का भी समय देते हैं, तो अपने ओपीडी में 100 मरीज का ही इलाज कर सकते हैं. जबकि वर्तमान स्थिति में 150 से 250 मरीज का इलाज कर रहे हैं. मरीज के आग्रह पर चिकित्सक अगर उनका जांच लिखते हैं तो संबंधित मरीज को जांच के उपरांत संबंधित रिपोर्ट को उसी दिन संबंधित चिकित्सक से दिखा पाना मुनासिब नहीं हो पता है. हर बार निरीक्षण में मिली खामियां पर आज तक नहीं हो सकी दूर 13 नवंबर को सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने सीएचसी के औचक निरीक्षण के दौरान ओपीडी में उपस्थित एकमात्र चिकित्सा को अलग-अलग महिला व पुरुष मरीज की लगी कतार का इलाज करते देखने के बाद गुणवत्तापूर्ण इलाज पर टिप्पणी किया था. निरीक्षण के दौरान अन्य खामी के साथ रोस्टर के मुताबिक चिकित्सक की उपस्थिति के अभाव में पीएचसी में मरीज को मिलने वाली गुणवत्तापूर्ण इलाज पर भी सवालिया निशान लगाया था. सिविल सर्जन स्पष्ट रूप से कह चुके है इतनी संख्या में मरीज का एक चिकित्सक द्वारा गुणवत्ता पूर्ण इलाज उपलब्ध कराना संभव नहीं है. .
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