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संदीप व अभिजीत को राहत नहीं फिर न्यायिक हिरासत में भेजे गये

सोमवार को सियालदह कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, जहां दोनों आरोपियों की वर्चुअली पेशी हुई.

कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में गिरफ्तार मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष व टाला थाना के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल को फिलहाल राहत नहीं मिली है. दोनों पर घटना के सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप है. सोमवार को सियालदह कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, जहां दोनों आरोपियों की वर्चुअली पेशी हुई. दोनों ने फिर अदालत में जमानत के लिए आवेदन किया, जिसे नामंजूर करते हुए अदालत ने उन्हें नौ दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में ही रखे जाने का निर्देश दिया. उसी दिन दोनों को अदालत में सशरीर पेश होने को भी कहा. इस दिन हुई सुनवाई में सीबीआइ पक्ष के अधिवक्ता ने दोनों की जमानत के आवेदन का विरोध करते हुए आशंका जतायी कि यदि उन्हें जमानत मिली, तो वे जांच को प्रभावित ही नहीं कर सकते, बल्कि फरार भी हो सकते हैं. घोष के अधिवक्ता ने कहा कि सीबीआइ अदालत में बार-बार तथ्य मिटाने व सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा रही है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कौन से सबूतों से छेड़छाड़ की गयी है. सीबीआइ के अधिवक्ता ने कहा कि जांच अभी खत्म नहीं हुई है और अभी दोनों आरोपियों को जमानत देने की कोई ठोस वजह नहीं है. इधर, पूर्व ओसी मंडल के अधिवक्ता ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी आशंका जता रही है कि उनके मुवक्किल फरार हो सकते हैं. उनके फरार होने की कोई वजह और संभावना नहीं है, क्योंकि वह एक सरकारी कर्मचारी हैं. इस पर सीबीआइ के अधिवक्ता ने कहा कि किसी मामले में गिरफ्तार सरकारी कर्मचारी फरार नहीं हो सकते हैं, ऐसा पहले ही दावा कैसे किया जा सकता है? पांच डीवीआर और पांच हार्ड डिस्क को जांच के लिए दूसरी बार सीएफएसएल को भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट आ गयी है. इसकी जांच की जा रही है. सीबीआइ की ओर से दोनों आरोपियों को फिलहाल न्यायिक हिरासत में ही रखे जाने का निर्देश दिया, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया. वित्तीय अनियमितता के मामले में भी आरोपियों को राहत नहीं : इसी दिन आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में हुई वित्तीय अनियमितता के मामले को लेकर भी अलीपुर अदालत स्थित स्पेशल सीबीआइ कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत की अवधि संशोधनागार में काट रहे संदीप घोष के अलावा मेडिकल कॉलेज के पूर्व हाउस स्टाफ आशीष कुमार पांडेय, मां तारा ट्रेडर्स के व्यवसायी विप्लव सिंह, हाजरा मेडिकल की सुमन हाजरा और ईशान कैफे के अफसर अली खान को वर्चुअल माध्यम के जरिये पेशी हुई. सुनवाई के दौरान विप्लव के अधिवक्ता ने अपने मुवक्किल की जमानत का आवेदन किया, जिसका सीबीआइ ने विरोध जताया. विप्लव को घोष का करीबी माना जाता है. सुनवाई के् दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी ने दावा किया कि उन्हें मामले की जांच में ” बड़ी साजिश” को लेकर तथ्य मिले हैं. अदालत ने फिलहाल पांचों आरोपियों को 12 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में ही रखने का निर्देश दिया है.

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