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ranchi news : अधिवक्ताओं के लिए प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो, आयुष्मान की सुविधा भी मिले

ranchi news : अधिवक्ता दिवस पर रांची जिला बार एसोसिएशन भवन में प्रभात खबर ने अधिवक्ताओं के साथ परिचर्चा की.

अधिवक्ता दिवस की पूर्व संध्या पर रांची जिला बार एसोसिएशन भवन में एक परिचर्चारांची. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर तीन दिसंबर को अधिवक्ता दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर रांची जिला बार एसोसिएशन भवन में प्रभात खबर ने अधिवक्ताओं के साथ परिचर्चा की. इसमें अधिवक्ताओं ने अपनी सुरक्षा के लिए राज्य और देश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की. अधिवक्ताओं ने कहा कि सबको न्याय और सुरक्षा दिलाने वाले खुद सुरक्षित नहीं हैं. किसी अपराधी का केस उसके पक्ष में नहीं आता है, तो वे अधिवक्ता की गलती मानकर हमला कर देते हैं. अधिवक्ता कोर्ट परिसर में तो सुरक्षित हैं, लेकिन परिसर से निकलने पर हमेशा एक डर सताता रहता है.

संघर्ष और चुनौती से भरा अधिवक्ताओं का जीवन

अभिनव मिश्रा ने कहा कि अधिवक्ताओं का जीवन संघर्ष व चुनौतियों से भरा है. उनके पास दीवानी व आपराधिक दोनों मामलों के क्लाइंट होते हैं. कई क्लाइंट हिंसात्मक प्रवृति के होते हैं. हर अधिवक्ता तो हर केस जीत नहीं सकता, क्योंकि हर गेम की तरह किसी एक ही टीम की जीत हो सकती है. उसी प्रकार कोर्ट में दो पक्ष के अधिवक्ताओं में एक ही पक्ष की जीत होती है. यदि अधिवक्ता उनका केस हार जाता है, तो हिंसात्मक प्रवृति के लोग हमला कर देते हैं. इसलिए अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट का लागू होना जरूरी है.

प्रोटेक्शन एक्ट के साथ आयुष्मान कार्ड बने, बजट में हो प्रावधान

रांची जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय विद्रोही ने कहा कि वर्षों से अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट की मांग उठती रही है, लेकिन अभी तक उसे लागू नहीं किया जा सका. इससे अधिवक्ताओं में असंतोष पैदा हो रहा है. समाज के हर तबके के 70 वर्ष से अधिक उम्रवाले लोगों का आयुष्मान कार्ड बन रहा है, तो फिर अधिवक्ताओं का क्यों नहीं. अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए बजट में भी प्रावधान होना चाहिए. प्रशिक्षु अधिवक्ताओं का स्टाइपेंड भी पांच हजार से बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया जाना चाहिए.

अधिवक्ता समाज किसी भी जाति-धर्म से ऊपर होता है

अधिवक्ता रंजीत कुमार वर्मा ने कहा कि हर समाज जाति और धर्म में बंटा हुआ है. सिर्फ अधिवक्ता समाज ही ऐसा है, जो जाति और धर्म से ऊपर है. सरकार हर तबके को जमीन उपलब्ध कराती है. अधिवक्ताओं को भी जमीन देकर एक कॉलोनी बसानी चाहिए. एक ऐसी कॉलोनी होगी, जो सभी जाति, धर्म, ऊंच, नीच से ऊपर उठकर एकतावाली कॉलोनी होगी. अधिवक्ता समाज में एक ऐसा वर्ग है, जिसमें 80 प्रतिशत ऐसे हैं जो केस से मिलनेवाली फीस से घर चलाते हैं. बच्चों को शिक्षित करते हैं. इसी पैसे से अपने स्वास्थ्य पर भी खर्च करते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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