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झारखंड में आलू की किल्लत होगी दूर, BAU करेगी ये बड़ा काम

बीएयू रांची के कुलपति ने कहा है कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय आलू की किस्मों के विकास पर शोध करेगा. उन्होंने इसके लिए कोल्ड स्टोरेज की संख्या में पर्याप्त वृद्धि करने की बात कही है.

रांची: बंगाल सरकार ने झारखंड समेत देश के कई राज्यों में आलू की सप्लाई पर रोक लगा दी है. इस कारण आलू की कीमत में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है. अब बीएयू रांची (BAU Ranchi) आलू की किल्लत को पूरी तरह से दूर करने के लिए इसके (आलू के) किस्मों पर शोध करेगी. दरअसल, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्मदिन मनाया जा रहा था. इस दौरान यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ एससी दुबे ने ये बात कही है.

बीएयू आलू पर करेगा शोध

बीएयू रांची के कुलपति डॉ एससी दुबे ने राज्य में आलू की कमी पर चर्चा करते हुए कहा कि झारखंड में आलू की फसल थोड़ा विलंब से तैयार होती है. इसलिए बंगाल पर निर्भर रहना पड़ता है. बीएयू आलू की किस्मों के विकास पर शोध करेगा ताकि दूसरे राज्यों पर निर्भरता न रहना पड़े. उन्होंने आगे कहा कि राज्य में कोल्ड स्टोरेज की संख्या में पर्याप्त वृद्धि करनी होगी ताकि यहां की फसल भावी जरूरतों के लिए संरक्षित रखी जा सके.

कुलपति डॉ एससी दुबे ने विद्यार्थियों को दी ये सलाह

बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने नयी सोच वाले मेधावी विद्यार्थियों के प्लेसमेंट के दौरान मिलने वाले पैकेज पीछे न भागने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि नयी सोच वाले मेधावी विद्यार्थी कृषि पाठ्यक्रम में आएंगे तभी कृषि क्षेत्र का विकास तेजी से होगा. विद्यार्थियों को पैकेज के पीछे भागने के बजाय भीड़ से अलग हटकर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने का प्रयास करना चाहिए. यह सुखद पहलू है कि आईआईटी और आईआईएम से पढ़ने वाले बहुत से विद्यार्थी कृषि क्षेत्र से जुड़ रहे हैं और वर्तमान परिदृश्य में बदलाव के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कृषि को केवल आजीविका का साधन नहीं बल्कि व्यवसाय बनाना होगा तभी सभी लोग इसे लाभन्वित हो सकेंगे.

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डॉ एससी दुबे ने डॉ राजेंद्र प्रसाद के जीवन को आत्मसात करने की दी सलाह

डॉ एससी दुबे ने डॉ राजेंद्र प्रसाद के सादा जीवन उच्च विचार, सेवा भाव और वैचारिक समन्वय के आदर्श को आत्मसात करने की सलाह दी है. कुलपति ने कहा कि राजेंद्र बाबू द्वारा लिखित पुस्तकें यदि उपलब्ध होंगी तो उन्हें मंगाकर बीएयू के पुस्तकालयों में रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद एक अग्रणी लेखक, संपादक, अधिवक्ता, समाजसेवी और राजनेता होने के बावजूद वह घर की सफाई खुद करना पसंद करते थे. वे सुविधायुक्त घर छोड़कर पटना के सदाकत आश्रम की मड़ई में रहना पसंद करते थे. उन्हें हर भूंजा खाना खूब पंसद था.

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