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विलक्षण प्रतिभा के धनी थे भारत रत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद

विलक्षण प्रतिभा के धनी थे भारत रत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद

गढ़वा. विलक्षण प्रतिभा के धनी भारत के पहले राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की 140वीं जयंती आरकेपीएस गढ़वा में मनायी गयी. स्कूल के निदेशक अलख नाथ पांडेय ने कहा कि राजेन्द्र प्रसाद का जीवन राष्ट्र प्रेम से भरा था. देश के हर लोगों के ह्रदय में स्थान पाने के कारण वह देश रत्न कहलाये. बचपन से ही वह कुशाग्र बुद्धि के थे. वह अपने विद्यार्थी जीवन में सदा अव्वल रहे. उन्होंने कहा कि राष्ट्र प्रथम की भावना से ओत-प्रोत राजेन्द्र बाबू ने महात्मा गांधी के आह्वान पर वकालत को छोड़ स्वतंत्रता सेनानी के रुप में कार्य किया. देश के संविधान सभा में सभापति का कार्य करते हुए विश्व के सबसे बड़ा संविधान का अपने नेतृत्व में निर्माण करवाया. आजादी के बाद जब हमारा देश गणराज्य बना तो देश के पहले राष्ट्रपति बनने का गौरव मिला. अभी तक भारत के इतिहास में वे इकलौते राष्ट्रपति हैं जो लंबे समय तक लगातार दो कार्यकाल के लिए इस पद को सुशोभित किया. वर्ष 1962 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उन्होंने कहा कि सादगी और सदाचार की प्रतिमूर्ति डॉ राजेन्द्र प्रसाद का जीवन हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है. उन्होंने शिक्षकों को उनकी जयंती के अवसर पर सीसीए में भाषण व निबंध प्रतियोगिता आयोजित कराने का निर्देश दिया. उपस्थित लोग : इस अवसर पर प्रशासनिक इंचार्ज प्रमोद कुमार झा, अनुप कुमार पांडेय, नंदलाल गुप्ता, गीता पांडेय, इम्तियाज खान, रश्मि शुक्ला, सनोज यादव, शिखा रानी व धीरज पांडेय सहित अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थे.

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