गुमला.
संत जेवियर स्कूल सिसई रोड गुमला में मंगलवार को संत फ्रांसिस जेवियर महोत्सव (संत जेवियर्स डे) मनाया गया. इसकी शुरुआत प्रात:कालीन मिस्सा अनुष्ठान से हुआ. मुख्य अनुष्ठाता फादर मनोहर खोया व सहायक अनुष्ठाता फादर ख्रीस्टोफर लकड़ा, फादर अगुस्टीन कुजूर, फादर जॉर्ज सोरेन व फादर कुलदीप लिंडा ने मिस्सा अनुष्ठान कराया. मिस्सा अनुष्ठान के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये. मौके पर फादर मनोहर खोया ने कहा कि संत फ्रांसिस जेवियर एक महत्वाकांक्षी इंसान थे. उनका जन्म स्पेन के पंपलोना में 1506 ईस्वी में हुआ था. शुरुआती समय में स्पेन में पढ़ाई पूरी करने के बाद वे एमए की पढ़ाई करने के लिए पेरिस चले गये. पढ़ाई के दौरान संत फ्रांसिस की मुलाकत संत इग्नासियुस लोयोला से हुई. जिस समय दोनों की मुलाकात हुई. इससे पहले ही संत इग्नासियुस का मनफिराव हो गया था. चूंकि संत इग्नासियुस संत बनने से पूर्व एक योद्धा थे. युद्ध के दौरान घायल होने के कारण उनका इलाज चल रहा था. इलाज के दौरान उन्होंने अनेकों धार्मिक पुस्तकें पढ़ी, जिससे उनका मनफिराव हो गया था और वे धर्म के मार्ग पर चलते हुए लोगों की सेवा कर रहे थे. इसलिए इग्नासियुस फ्रांसिस को अपने साथ मिला कर काम करना चाह रहे थे. परंतु फ्रांसिस महत्वाकांक्षी इंसान थे. इसलिए इग्नासियुस को फ्रांसिस के काम करने के लिए राजी नहीं कर पाये. इग्नासियुस फ्रांसिस को बाइबल का कथन हमेशा सुनाते थे. वे कहते थे कि मनुष्य को क्या लाभ, यदि वह सारा संसार को कमा ले. परंतु अपनी आत्मा को गंवा दे. इस कथन से फ्रांसिस का मनफिराव हुआ. फ्रांसिस के कामों को देखते उन्हें धर्म के प्रचार के लिए भारत देश भेजा गया. यहां आने के बाद उन्होंने अपना सबसे पहला कदम गोवा में रखा. इसके बाद उन्होंने समुद्री इलाकों में काम किया और वहां यीशु समाज का गठन किया. बाद में उनके कामों को देखते हुए 1540-41 में संत की उपाधि मिली. उन्होंने कहा कि संत जेवियर की तरह महत्वाकांक्षी बने और समाज को अपनी सेवा दें. मौके पर स्कूल के प्रधानाध्यापक अमृत लाल समेत स्कूल के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं, बच्चे आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है