गोपालगंज. आप बाजार में फल, सब्जी, मीट, मछली या चावल, दाल खरीदने जाते हैं, तो आपको पूरा वजन मिल जाये, यह मुमकिन नहीं है. एक किलो के बदले 850 से 900 ग्राम ही दिया जाता है. सरेआम ग्राहक लुट रहे हैं. ऐसा हो भी क्यों नहीं. इस पर रोक लगानेवाले जिम्मेदार विभाग के अफसर मस्ती में हैं. विभाग में साहब से लेकर क्लर्क तक खोजने पर नहीं मिलते. महज एक निरीक्षक, क्लर्क, दो प्यून व एक डाटा ऑपरेटर के भरोसे यह कार्यालय माप-तौल को सही ठहराने का दावा ठोक रहा. कृषि विभाग के कैंपस में ही माप-तौल विभाग का कार्यालय है. इसको भी नियमानुसार 10 बजे खोलना है, पर मंगलवार को 10:40 बजे कार्यालय का ताला खुला. कार्यालय में एकमात्र क्लर्क नरेंद्र कुमार चुनाव के कंट्रोल रूम में ड्यूटी में थे. प्यून नागेंद्र कुमार व संजय कुमार तथा डाटा ऑपरेटर मिथिलेश मिश्र कार्यालय में बैठकर गप करने में जुट गये. इनके दम पर मापतौल विभाग जिले के ग्राहकों को सामान सही वजन दिलाने का दावा कर रहा. तीन घंटे के इंतजार के बाद मिले मापतौल निरीक्षक : मापतौल विभाग की कमान निरीक्षक दिलीप कुमार के पास है. कार्यालय की जानकारी उनके पास होने की बात उनके डाटा ऑपरेटर मिथिलेश मिश्र ने बताया. प्रभात खबर की टीम इंतजार करने लगी. दिन के 12:42 बजे साहब बाइक से पहुंचे. आने के साथ ही उनके दोनों प्यून नागेंद्र कुमार व संजय कुमार उनके चैंबर में दौड़ पड़े. उसके बाद डाटा ऑपरेटर भी गये. कुछ देर बाद प्रभात खबर की टीम को बुलाया. कुछ जानकारी दे दिये. बहुत कुछ बताने से इंकार कर दिये. साल में कितने दुकानों में छापेमारी की गयी यह नहीं बता पाये. वर्षों से प्रभार में सहायक नियंत्रक का पद : वैसे तो माप-तौल विभाग में सबसे महत्वपूर्ण पद सहायक नियंत्रक माप-तौल का है. गोपालगंज का प्रभार गणेश कुमार के पास है. चैंबर देखने से स्पष्ट होता है कि यह कई वर्षों से खाली है. टेबल पर धूल जमी थी, तो कुर्सी अपनी जगह से अलग थी. बताया जाता है कि साहब यहां के अलावा सारण, सीवान, आरा व बक्सर के प्रभार में भी हैं. वे महीने में चार बार आते हैं. विभाग की सुस्ती से खुलेआम लूट रहे ग्राहक : माप-तौल विभाग में सुस्ती का असर ग्राहकों की जेब पर पड़ रहा है. बिना नवीनीकरण के माप व तौल का काम खूब चल रहा है. नियमानुसार हर एक व दो साल बाद बाट, तराजू व इलेक्ट्रॉनिक कांटे की जांच होती है. बाट पर मोहर लगती है, तो इलेक्ट्रॉनिक कांटे पर जांच के बाद टैग (सील) लगती है. बाजार में बड़ी संख्या में बिना मुहर के बाट व बिना नवीनीकरण टैग के कांटे इस्तेमाल किये जा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी लचर है. मुहर व टैग लगाने के लिए विभाग की ओर से एजेंट अधिकृत किये जाते हैं, जो रिपेयरिंग, इलेक्ट्रॉनिक कांटों का निर्माण व बिक्री करते हैं. बाट पर मुहर भी लगती है, दुकानदार अनजान : गांव की बात कौन करे. शहर के बड़ी बाजार से लेकर चौक-चौराहों पर खुलेआम ग्राहक लुट रहे हैं. प्रभात खबर की टीम मंगलवार की दोपहर बड़ी बाजार में सब्जी दुकानों पर पहुंची, तो पता चला कि बाट का लाइसेंस होता है इससे दुकानदार अनजान है. सब्जी बेच रहे सकूर मियां ने बताया कि बेटा दुकान चलाता था. वह बाहर चला गया तो सब्जी बेच रहे. बटखरे का लाइसेंस होता है, पता नहीं. बगल में बेच रहे सलाउद्दीन मियां ने अपने इलेक्ट्रॉनिक तराजू को सब्जी के पीछे छुपा लिया था, ताकि ग्राहकों को पता नहीं चले. जबकि, राम लाल को तराजू के लाइसेंस की जानकारी नहीं थी. रामलाल से पूछने पर उसने बताया कि बड़ी दुकानों की जांच कोई करता ही नहीं है. 20 दुकानों में एक के पास ही तराजू के लाइसेंस मिले. दो सौ के खिलाफ लोक अदालत से नोटिस : माप-तौल विभाग के निरीक्षक दिलीप कुमार की माने, तो लोक अदालत से दो सौ लाइसेंसधारियों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है. जून में 14 लोगों से 70 हजार का जुर्माना, तो पिछले लोक अदालत में 13 से 65 हजार का जुर्माना वसूला जा चुका है. इस बार 14 दिसंबर की लोक अदालत में कितने लोग आते हैं, इसका इंतजार है.
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