Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि के पीजी वनस्पति विज्ञान विभाग की ओर से “रिसेंट एडवान्सेंस इन लाइफ साइंस : अपॉर्चुनिटी एंड चैलेंजेस” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन मंगलवार को हुआ. इसमें देश-विदेश के प्राध्यापकों ने व्याख्यान दिया. उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ. स्मारिका का विमोचन किया गया. मुख्य अतिथि सह पूर्व कमिश्नर डॉ जटा शंकर चौधरी ने शोध के लिए स्टेट यूनिवर्सिटीज में वित्तीय प्रबंधन की चुनौतियां एवं समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए शोधार्थियों को उपलब्ध संसाधनों में बेहतर शोध करने की सलाह दी. बीएन मंडल विश्वविद्यालय एवं टीएमबीयू भागलपुर के पूर्व कुलपति प्रो. एके राय ने उच्चकोटि के शोधकार्य पर प्रकाश डाला. की-नोट स्पीकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एनके दुबे ने कहा कि कि पौराणिक समय से ही भारतीय औषधीय पौधों की गुणवत्ता का प्रयोग विश्व स्तर पर एवं एलोपैथिक दवाओ में किया जा रहा है. पौधा प्राचीन भारतीय चिकित्सा का हिस्सा रहा है. अध्यक्षता कर रहे वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. जयकर झा ने लाइफ साइंस की उपयोगिता और चुनौतियों पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में संरक्षक सह विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा, कुलसचिव प्रो. विजय कुमार यादव एवं बॉटनी विभागाध्यक्ष डॉ सविता वर्मा आदि मौजूद थे. संचालन पीजी विभाग की छात्राओं एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ अंकित कुमार सिंह ने किया.
तकनीकी सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने रखे विचार
तकनीकी सत्रों में आइसीएआर-आइएआरआइ की प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ प्रनिता जायसवाल, सीएसआइआर-आइआइटीआर लखनऊ के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ विकास श्रीवास्तव, बीएचयू की डॉ नेहा गर्ग, नेपाल के कंट्री डायरेक्टर साकेब नबी, यूएसए के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ मयंक सिंह ने व्याख्यान दिया. सेमिनार में प्रो. सूर्यनारायण चौधरी, प्रो. शीला, प्रो. आइएन मिश्रा, प्रो. विद्यानाथ झा, प्रो. अजय नाथ झा, डॉ मुरारी प्रसाद, प्रो. ए एन कार गुप्ता, प्रो. शहनाज जमील, डॉ गजेंद्र प्रसाद, डॉ आनंद मोहन मिश्रा, प्रो. श्याम चंद्र गुप्ता, डॉ प्राची मरवाहा, आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है