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खुदीराम व प्रफुल्ल चाकी से प्रेरणा लेगी नयी पीढ़ी : सत्यव्रत

खुदीराम व प्रफुल्ल चाकी से प्रेरणा लेगी नयी पीढ़ी : सत्यव्रत

शहीदों को नमन :

=खुदीराम व प्रफुल्ल चाकी से प्रेरणा लेगी नयी पीढ़ी : सत्यव्रत

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कोर्ट परिसर में खुदीराम बोस व प्रफुल्ल की प्रतिमा का अनावरण

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पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति का वर्चुअल मोड में उद्घाटन

मुजफ्फरपुर.

सेशन कोर्ट के 150 वर्ष पूरे होने पर मंगलवार को कोर्ट परिसर में अमर शहीद खुदीराम बोस व प्रफुल्ल चाकी की प्रतिमा का अनावरण किया गया.कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सह जिला व्यवहार न्यायालय के निरीक्षी न्यायाधीश सत्यव्रत वर्मा ने वर्चुअल मोड से किया. इसके साथ ही उन्होंने शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा स्थित शहीद के फांसी स्थल के सौंदर्यीकरण का शुभारंभ व कोर्ट परिसर स्थित विश्राम स्थल का भी उद्घाटन किया. उन्हाेंने कहा कि मुजफ्फरपुर में 1875 में न्यायपीठ की स्थापना हुई है. उस समय यह कोलकाता हाइकोर्ट के अधीन था. यहां का इतिहास जानने पर मुझे प्रसन्नता हुई. इस गौरवशाली इतिहास को लोगों के सामने रखा जाना चाहिये. इससे अधिवक्ताओं की नयी पीढ़ी यहां के इतिहास से परिचित हो सकेगी. साथ ही देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती भी है. इस दिन अधिवक्ता दिवस भी मनाया जाता है, यह दिन हमारे गौरवशाली परंपरा को बताता है.

मुजफ्फरपुर शहीद खुदीराम की कर्मभूमि

एसएसपी राकेश कुमार ने कहा कि यहां की कानून-व्यवस्था को दुरुस्त रखने में पुलिस जुटी हुई है. हमलोग जिले में शांति के लिए लगातार काम कर रहे हैं. डीएम सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि मुजफ्फरपुर के लिए काफी गर्व की बात है कि यह शहीद खुदीराम बोस की कर्मभूमि है. उनकी प्रतिमा हमेशा देशभक्ति के लिए कार्य करने की प्रेरणा देगी. प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश मनोज सिंह ने कहा कि शहीद खुदीराम बोस का बलिदान एक अमर गाथा है, जो आज भी हमें देश के लिए सब कुछ कुर्बान करने की प्रेरणा देती है.

हम सभी उनके विचारों से प्रेरणा लें और देश हित में काम करें. इस मौके पर एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन सिंह, जिला बार एसोसिएशन के अध्यश्क्ष अखिलेश्वर प्रसाद सिंह, बिहार स्टेट बार काउंसिल के सदस्य सच्चिदानंद सिंह ने विचार रखे. कार्यक्रम के दौरान स्मारिका का भी लोकार्पण भी किया गया. धन्यवाद ज्ञापन फैमिली कोर्ट की जज नम्रता तिवारी ने किया. इस मौके पर एडीजे वन नमिता सिंह, एडीजे टू सत्यप्रकाश, एडीजे फाइव आलोक पांडेय, एडीजे आठ प्रवीण कुमार सहित न्यायिक पदाधिकारी व अधिवक्ता मौजूद थे.

1874 में स्थापना, जे रिचर्डसन थे पहले जज

एक जनवरी, 2025 को मुजफ्फरपुर जिला कोर्ट की स्थापना के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं. 150 साल की न्यायिक विरासत में अब 80 जज इंसाफ दे रहे हैं., जबकि 1891 में इनकी संख्या केवल आठ थी. ब्रिटिश हुकूमत ने 1873-74 में सेशन कोर्ट का गठन किया. इसके पहले जज आर जे रिचर्डसन थे. इसके बाद 1875-76 तक प्रतिनियुक्ति पर मि अब्राहम रहे. वर्ष 1877 से 78 तक जे रिचर्डसन दोबारा पदस्थापित हुए. 1900 में गुडवे और 1910 में डब्ल्यू एच विसेंट यहां के जज थे. आजादी के पूर्व राय साहिब नाथ, खान बहादुर व मो इब्राहिम यहां के जज रहे. आजादी के बाद श्याम नंदन प्रसाद सहित कई जज यहां रहे. यह सेशन कोर्ट हम लोगों की विरासत है. कोर्ट परिसर में ही हरिटेज बिल्डिंग है. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज सिंह ने पूर्व के कई फैसले, कस्टडी वारंट को कोलकाता के संग्रहालय से मंगा कर यहां सुरक्षित रखा है. – डॉ संगीता शाही, वरीय अधिवक्ता

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