19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Vinayaka Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर पढ़ें श्री गणेश चतुर्थी की प्रामाणिक व्रत कथा

Vinayaka Chaturthi 2024 Vrat Katha: इसलिए किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पूर्व गणेश जी की पूजा करना आवश्यक होता है. गणेश जी को ज्ञान और बुद्धि का देवता माना जाता है, जिससे विद्यार्थी उनकी आराधना करके ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति की इच्छा करते हैं. विनायक चतुर्थी को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन लोग नए कार्यों की शुरुआत करते हैं.

Vinayaka Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी या गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो भगवान गणेश को समर्पित है. गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है. इस दिन गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है और उनकी आराधना की जाती है. उन्हें सभी बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले उनकी पूजा अनिवार्य होती है. गणेश जी को ज्ञान और बुद्धि का देवता भी माना जाता है, जिससे छात्र उनकी आराधना करके ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं. विनायक चतुर्थी को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन लोग नए कार्यों की शुरुआत करते हैं.

आज है  विनायक चतुर्थी का व्रत

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 04 दिसंबर को दोपहर 01:10 बजे प्रारंभ होगी और इसका समापन 05 दिसंबर को दोपहर 12:49 बजे होगा. इस दिन चन्द्रास्त का समय रात 09:07 बजे है. साधक 05 दिसंबर को विनायक चतुर्थी का व्रत रख सकते हैं.

भगवान शिव और माता पार्वती की पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार वे नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे. इस दौरान माता पार्वती ने भगवान शिव से चौपड़ खेलने का अनुरोध किया.

Mars Transit 2025: नए साल में मंगल चलेंगे  उल्टी चाल,  पैसा और सेहत दोनों पर होगा असर

भगवान शिव चौपड़ खेलने के लिए सहमत हो गए, लेकिन यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ कि हार-जीत का निर्णय कौन करेगा. इस पर भगवान शिव ने कुछ तिनके इकट्ठा कर एक पुतला बनाया और उसकी प्राण-प्रतिष्ठा की. उन्होंने पुतले से कहा, “बेटा, हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, लेकिन हमारे हार-जीत का निर्णय करने वाला कोई नहीं है, इसलिए तुम बताओ कि हम दोनों में से कौन हारा और कौन जीता?”

इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती ने चौपड़ खेलना शुरू किया. यह खेल तीन बार खेला गया और संयोगवश तीनों बार माता पार्वती ने विजय प्राप्त की. खेल समाप्त होने के बाद बालक से हार-जीत का निर्णय करने के लिए कहा गया, तो उसने भगवान शिव को विजयी घोषित किया.

यह सुनकर माता पार्वती अत्यंत क्रोधित हो गईं और उन्होंने बालक को लंगड़ा होने तथा कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया. बालक ने माता पार्वती से क्षमा मांगी और कहा कि यह सब मेरी अज्ञानता के कारण हुआ है, मैंने किसी द्वेष भावना से ऐसा नहीं किया.

बालक की क्षमा याचना पर माता ने कहा- ‘यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आएंगी, उनके निर्देशानुसार तुम गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे.’ यह कहकर माता पार्वती भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत की ओर चली गईं.

एक वर्ष बाद उस स्थान पर नागकन्याएं आईं, और जब बालक ने उनसे श्री गणेश के व्रत की विधि पूछी, तो उसने 21 दिन तक लगातार गणेशजी का व्रत किया. उसकी श्रद्धा से गणेशजी प्रसन्न हुए और उन्होंने बालक से मनोवांछित फल मांगने के लिए कहा.

उस बालक ने कहा, ‘हे विनायक! कृपया मुझे इतनी शक्ति प्रदान करें कि मैं अपने पैरों पर चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत तक पहुंच सकूं और वे इस दृश्य को देखकर आनंदित हों.’

इसके बाद, श्री गणेश ने बालक को वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए. बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया और वहां पहुंचकर उसने भगवान शिव को अपनी यात्रा की कथा सुनाई.

चौपड़ के दिन से माता पार्वती भगवान शिव से विमुख हो गई थीं, इसलिए देवी के क्रोधित होने पर भगवान शिव ने बालक के अनुसार 21 दिनों तक श्री गणेश का व्रत किया. इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन में भगवान शिव के प्रति जो नाराजगी थी, वह समाप्त हो गई.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें