12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

समय के साथ पुलिस ने खुद को नहीं बदला : कलकत्ता हाइकोर्ट

पुलिस का काम पुराने दिनों की तरह ही है. उन्होंने समय के साथ स्वयं को नहीं बदला. यह टिप्पणी बुधवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की.

संवाददाता, कोलकाता

पुलिस का काम पुराने दिनों की तरह ही है. उन्होंने समय के साथ स्वयं को नहीं बदला. यह टिप्पणी बुधवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की. न्यायाधीश ने आगे कहा कि पुलिस को प्रशिक्षण की जरूरत है. एक महिला ने सहकारी समिति में वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायत की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायत करने के बाद से ही उन्हें परेशान किया जा रहा है.

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने कहा कि शुरुआत में पुलिस के समक्ष जो मामला दर्ज किया गया था, उस समय इसे गैर-संज्ञेय अपराध बताया गया था. बाद में पुलिस ने आरोपपत्र में भारतीय दंड संहिता की कई धाराएं जोड़ीं. न्यायाधीश ने कहा कि इन धाराओं को जोड़ने के लिए पुलिस को कोर्ट से मंजूरी लेनी चाहिए थी, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया. न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पुलिस को ट्रेनिंग की जरूरत है. आपने भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और 506 क्यों दी? आप यह कैसे कर सकते हैं? आपको न्यायालय से अनुमति लेनी चाहिए थी. हाइकोर्ट के मुताबिक, गैर-संज्ञेय एफआइआर व्यवस्था ब्रिटिशकाल से ही चली आ रही है. गौरतलब है कि गैर-संज्ञेय आरोपों के मामले में पुलिस अदालत के आदेश के बिना जांच नहीं कर सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें