World Soil Day 2024 : सॉइल साइंस मिट्टी के संरक्षण से जुड़ा विज्ञान है. इसमें मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करने, मिट्टी के दोषों को दूर कर जमीन की उर्वरता को कायम रखने और बढ़ाने के तरीकों, खाद और उर्वरकों के इस्तेमाल, उचित फसल चक्र, वानिकी आदि का अध्ययन किया जाता है. पूरे विश्व में कृषि योग्य भूमि को संरक्षित करने में सॉइल साइंस के वैज्ञानिक एवं जानकार बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं.
कोर्स जिनके साथ बढ़ सकते हैं आगे
आप अगर सॉइल साइंस की पढ़ाई करना चाहते हैं, तो बारहवीं के बाद बीएससी (सॉइल साइंस/ एग्रीकल्चर) में प्रवेश ले सकते हैं. एग्रोनॉमी/एग्रीकल्चरल केमिस्ट्री/एग्रीकल्चर एक्सटेंशन/एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स/ एग्रीकल्चरल बॉटनी/ फॉरेस्ट्री या एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री लेनेवाले भी सॉइल साइंस में मास्टर डिग्री हासिल कर पीएचडी एवं शोध की राह में आगे बढ़ सकते हैं.
संस्थान, जहां मिलेगा अध्ययन का मौका
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सॉइल साइंस,भोपाल.
हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पालमपुर.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सॉइल एंड वाटर कंजर्वेशन, देहरादून.
कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता.
यहां मिलेंगे भविष्य के अवसर
सॉइल साइंस में उच्च शिक्षा हासिल करके आप सॉइल साइंटिस्ट, सॉइल कंजर्वेशनिस्ट, एनालिस्ट या सॉइल सर्वेक्षक और डेवलपमेंट कंसल्टेंट, इकोलॉजिस्ट, हाइड्रोलॉजिस्ट, एनवायर्नमेंटल साइंटिस्ट, सॉइल कंजर्वेशन टेक्नीशियन, सॉइल लेबोरेटरी टेक्नीशियन आदि के तौर पर इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं. इस विषय में उच्च शिक्षा हासिल कर कॉलेज व विश्वविद्यालय में अध्यापन करने का भी विकल्प है. इसके अलावा आपके पास सॉइल एंड फर्टिलाइजर टेस्टिंग लेबोरेटरी, मृदा उत्पादकता, एग्रीकल्चर आदि क्षेत्रों में काम करने के मौके होंगे.
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