जिला उर्वरक निगरानी समिति की शुक्रवार को जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी की अध्यक्षता में बैठक हुई. जिलाधिकारी निर्देश दिया कि वास्तविक आच्छादन एवं मांग के अनुरूप आवश्यकतानुसार उपलब्ध उर्वरकों का प्रखंडवार वितरण सुनिश्चित करें, ताकि किसानों को सुगमतापूर्वक उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध हो सके. इसके लिए निरंतर उर्वरक प्रतिष्ठानों पर छापामारी करें. अनियमितता पाये जाने पर संबंधित प्रतिष्ठानों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करें. इससे पहले जिला कृषि पदाधिकारी अनिल यादव ने बैठक की कार्रवाई शुरू की. 30 जुलाई को आयोजित बैठक का अनुपालन के संबंध में पृच्छा की गयी. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जिला उर्वरक निगरानी समिति में लिए गये निर्णय के आलोक में जिले को प्राप्त उर्वरक के आवंटन को फसल आच्छादन एवं क्षेत्र की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए प्रखंडवार आवंटित किया जाता है. वैसे प्रखंड में उर्वरक की मात्रा संबंधित प्रखंडों के भौगोलिक आच्छादन के आधार पर कम थी, वैसे प्रखंडों को प्राथमिकता के आधार पर उर्वरकों का आवंटन किया गया है. रबी वर्ष 2024-25 में सभी प्रखंडों में उर्वरक निगरानी समिति की बैठक बुलाने का निर्देश दिया गया, ताकि उर्वरक की कालाबाजारी को रोका जा सके. वर्तमान में सभी उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है किसी भी उर्वरक की कमी नहीं है. जिला कृषि पदधिकारी ने बताया कि रबी वर्ष 2024-25 में उर्वरक की आवश्यकता एवं उपलब्धता इस प्रकार है यूरिया 18993 मैट्रिक टन के विरुद्ध उपलब्धता 13077.135 मैट्रिक टन, डीएपी 8683 मैट्रिक टन के विरुद्ध 3166.15 मैट्रिक टन, एनपीके 13600 मैट्रिक टन के विरुद्ध 5197.05 मैट्रिक टन, एमओपी 3172 मैट्रिक टन के विरुद्ध 3042.40 मैट्रिक टन एवं एसएसपी 1580 मैट्रिक टन के विरुद्ध 3477.50 मैट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है. जिलाधिकारी ने जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया कि जिले के सभी थोक उर्वरक विक्रेता एवं खुदरा उर्वरक विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों का पॉश मशीन में उपलब्ध मात्रा से भंडार का भौतिक सत्यापन 31 दिसंबर तक कराना सुनिश्चित करें. आगे जिलाधिकारी द्वारा जिला कृषि पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि थोक एवं खुदरा उर्वरक विक्रेता अपने-अपने प्रतिष्ठानों पर सूचना पट्ट मूल्य तालिका लगाकर ही उर्वरक की बिक्री करें. उर्वरक का मूल्य एवं भंडार प्रदर्शित नहीं करने वाले विक्रेताओं के विरुद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत संबंधित विक्रेताओं पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
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