तालझारी. प्रखंड अंतर्गत मसकलैया झील में शरद ऋतु का आगमन होते ही हजारों किलोमीटर दूर से प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया है. भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के गंगा प्रहरी व बर्ड गाइड कामदेव कुमार मंडल ने झील का निरीक्षण किया. उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष मसकलैया झील का सर्वे करने के लिए हजारीबाग व भागलपुर से एडब्ल्यूसी के पांच सदस्यों की टीम आती है. यहां प्रवासी पक्षी की वस्तुस्थिति की जानकारी लेती है. सर्वे टीम को पिछले वर्ष मसकलैया झील में 17 प्रकार के पक्षी देखने को मिले थे, जो हजारों की संख्या में आये थे. भारतीय वन्यजीव संस्थान के गंगा प्रहरी व बर्ड गाइड कामदेव कुमार मंडल द्वारा बर्ड वाचिंग किया गया. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पक्षी की संख्या में बहुत कमी दिखायी दी. अभी मात्र तीन प्रकार के प्रवासी पक्षी देखने को मिल रहे हैं, जो 83 की संख्या में हैं. पक्षी इस वर्ष कमी होने का मुख्य कारण बड़ी संख्या में मछुआरे द्वारा मछली का पकड़ना तथा झील के चारों साइड मछली पकड़ने के लिए जाल बिछाया जाना एवं अवैध शिकार का होना बताया. अभी झील में मौजूद पक्षी की संख्या 83 में ज्यादा रेड क्रीटेड पोचर (लाल सिर), कॉमन कूट, रेड वेस्टर्न डक, पर्पल हीरोन, लेसर एडजटेंट (गरुड़), एशियाई ओपनबिल (घोंगिल) अन्य पक्षी दिखायी दिया है. उन्होंने बताया कि अभी समय है और भी प्रवासी पक्षी आने का संभावना है. जिस प्रकार मनुष्य अपने पसंदीदा स्थलों का भ्रमण कर वापस अपने घर लौटते हैं, ठीक उसी प्रकार शरद ऋतु के मौसम में प्रवासी पक्षी का यहां आगमन होता है और फरवरी माह के अंत में वापस चले जाते हैं. मौके पर पंचू कुमार, विक्रम कुमार, अंशु पासवान मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है