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एक रैन बसेरा में लटका ताला तो दूसरे में मात्र 35 बेड

सीवान.ठंड हो या बारिश का मौसम शहर में जरूरतमंद बेसहारों के लिए रैन बसेरा सहारा बनता रहा है,पर इस बार ऐसे लोगों को निराशा ही हाथ लगेगी. शहर में मौजूद दो रैन बसेरा में से एक में ताला लगा है, तो दूसरे में 50 बेड की जगह अब 35 बेड ही रह गये हैं.मौसम की मार के समय जरूरतमंदों की बड़ी संख्या को राहत के लिये ये इंतजाम जहां नाकाफी है,

संवाददाता,सीवान.ठंड हो या बारिश का मौसम शहर में जरूरतमंद बेसहारों के लिए रैन बसेरा सहारा बनता रहा है,पर इस बार ऐसे लोगों को निराशा ही हाथ लगेगी. शहर में मौजूद दो रैन बसेरा में से एक में ताला लगा है, तो दूसरे में 50 बेड की जगह अब 35 बेड ही रह गये हैं.मौसम की मार के समय जरूरतमंदों की बड़ी संख्या को राहत के लिये ये इंतजाम जहां नाकाफी है, जिला मुख्यालय में दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय आजीविका मिशन अंतर्गत शहरी आश्रयविहीन व्यक्तियों के लिए बस स्टैंड में संचालित आश्रय स्थल का निर्माण दो वर्ष पूर्व कराया गया था. समय के साथ रैन बसेरा की स्थिति दयनीय होती जा रही हैं. कड़ाके की ठंड में लोगों को खुले आसमान,किसी दुकान के आगे या अन्य स्थानों पर रात गुजारनी पड़ सकती हैं. बताया जाता है कि जब रैन बसेरा का निर्माण कराया गया था तब उसमें सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा,मनोरंजन के लिए बड़ी टीवी,गर्मी से बचाव के लिए पंखा कूलर की व्यवस्था की गई थी.लेकिन समय के साथ वह भी खराब हो गया. कर्मियों का कहना हैं कि कई बार बनवाने के लिए वरीय पदाधिकारियों से कहा गया लेकिन अब तक नही बन सका. 50 में 15 बेड नहीं रह गये काम काम के कर्मियों ने बताया कि ललित बस स्टैंड स्थित रैन बसेरा में 50 बेड हैं. वही ऊपरी मंजिल पर महिलाओं के लिए 10 बेड हैं. लेकिन पुरुषों के 50 बेड में 15 बेड टूट चुके हैं. जिससे आज कल मात्र 35 ही लोग रह रहे हैं.ठंड में रहने वाले लोगों को एक कम्बल,मछड़दानी दी जा रही हैं. गैस नही होने के कारण नही मिल रहा भोजन बताते चलें कि रैन बसेरा में ठहरने वाले लोगो को रात्रि में 30 रुपये में रोटी, चावल,दाल और सब्जी दी जाती थी.लेकिन गैस खत्म हो जाने के कारण आजकल लोगो को भोजन नही मिल रही हैं. जहां रैन बसेरा में ठहरने वाले लोगों बाहर से भोजन कर रहे है. एक रैन बसेरा हुआ बन्द शहर के गोपालगंज मोड़ के समीप नगर पालिका ने वर्षों पहले मुसाफिरों की सहूलियत के लिए 20 बेड का रैन बसेरे का निर्माण कराया था. जिसके बनने के बाद प्रतिदिन लोग वहां ठहरा करते थे.जहां, बेड, पंखा, पानी सहित भोजन भी मिलता था.लेकिन अचानक दो महीने पहले उसे बंद कर दिया गया. मुसाफिरों को रैन बसेरा बंद होने से इधर-उधर रात काटनी पड़ रही है.स्थानीय लोगों ने बताया कि बसेरा चालू था तो काफी हद बाहर से आने वाले यात्रियों को सहारा मिल जाता था.रात के समय इन्हें इधर-उधर परेशान नहीं होना पड़ता था. अभी लोगो को सड़क या किसी दुकान या फिर अन्य जगहों पर रात गुजारना पड़ती है. जिससे परेशानी होती है. कर्मी भुखमरी के कगार पर बंद रैन बसेरा की कर्मी अमृता कुमारी ने बताया कि हमलोग पांच कर्मी बीते 11 वर्षो से रैन बसेरा में कार्यरत थे. जहां रात्रि प्रहरी भी था. लेकिन रैन बसेरा अचानक बंद हो जाने से हमलोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है.वही हमलोगों का मानदेय भी नही मिला है. बंद होने के बाद भी कई बार पदाधिकारियों से मांग की गई लेकिन नही मिल सका. बोले अधिकारी जरूरतमंदों के लिये ठंड को देखते हुए सभी आवश्यक इंतजाम किये जायेंगे.इसके लिये जल्द ही आवश्यक कार्रवाई की जायेगी. अरविंद कुमार सिंह,कार्यपालक पदाधिकारी(नगर परिषद)

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