कोढ़ा. प्रखंड क्षेत्र में हरे मटर की फसल एक बार फिर लहलाहा रही है. एक तरफ जहां सरकार व विभाग हरे मटर की खेती को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चल रही है. किसान भी बाजार में दलहन के अच्छे भाव देख मटर की खेती की और अपना रुख किया है. इस वर्ष कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के किसानों ने नगदी फसल के रूप में अन्य फसलों के साथ-साथ मटर की खेती को भी प्राथमिकता दे रहे हैं. यही कारण है कि इस बार क्षेत्र में मटर की खेती का रकबा में अच्छे खासे बढ़ोतरी हुई है. किसान जोर शोर से मटर की खेती प्रारंभ कर दिया है. जबकि मटर की खेती का शुरुआत होता देख अन्य किस भी प्रेरित होकर मटर की खेती का मन बना रहे हैं. 10 से 15 साल पूर्व प्रखंड क्षेत्र में कृषक बृहद पैमाने पर अन्य दलहन फसलों के साथ-साथ खेतों में लगे मटर की हरियाली बहियार का शोभा बढ़ाती थी. केला खेती के दौर में धीरे-धीरे दलहन की खेती का रकबा घटता चला गया. एक्का दुक्का किसान ही परंपरागत खेती के रूप में मटर की खेती को अपनाये हुए रहे. फलस्वरुप क्षेत्र में मटर की उपज काफी कम हो गयी. बाहर से आयात मटर पर निर्भर होना पड़ा. प्रखंड क्षेत्र के किसान विमलेश कुमार, अरुण कुमार, मुंतशिर, अनिल, ज़ियाउल हसन आदि ने कहा कि क्षेत्र में केला खेती के होड़ में दलहन की खेती से यहां के किसान विमुख हो गए थे. दलहन की खेती से जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है. किसानों ने बताया कि एक-एक एकड़ मटर की खेती में खर्च 30 से 40 हजार होता है. अगर भाव अच्छा रहा तो दो लाख रूपये तक आमदनी हो जाती है. इसलिए अन्य फसलों के वनिस्पत मटर की खेती काफी फायदेमंद है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है