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Katihar news : बेबी कॉर्न मक्के की खेती से जिले के किसानों का संवरेगा तकदीर

जिला कृषि पदाधिकारी ने की बेबी कॉर्न मक्के की वैज्ञानिक विधि से बुआई

कटिहार. बेबीकॉर्न मक्के की खेती कर जिले के किसान अपनी तकदीर संवारेंगे. जिला पदाधिकारी मनेश कुमार मीणा की प्रेरणा और जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार के प्रयास से पहली बार जिले में नवाचार प्रयोग के तहत बेबी कॉर्न मक्के की खेती के लिए किसानों को जागरूक किया गया. शनिवार को दलन पूरब पंचायत के प्रगतशील किसान सह उपसरपंच रविशंकर श्रवणे को न केवल उन्नत प्रभेद का बीज उपलब्ध कराया गया. बल्कि जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार ने विधिपूर्वक बुवाई कर शुरूआत की. जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार, सहायक निदेशक शष्य सह मनिहारी अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सुदामा ठाकुर एवं अनुमंडल कृषि पदाधिकारी कटिहार रंजीत कुमार झा की उपस्थिति में वैज्ञानिक पद्दति के अनुसार बुआई करायी गयी. साथ ही बुआई से पूर्व बीजोपचार भी कराया गया. ताकि बेबीकॉन मक्के की अंकुरण क्षमता बढ़े. मिट्टी जनित एवं बीज जनित रोग एवं कीटों से फसलों को बचाया जा सके. जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार ने किसानों को इस प्रभेद के बारे में बताया कि बेबीकॉन मक्का दो माह में तैयार हो जाता है. एक पाैधे में तीन भुट्टा लगता है. एक एकड़ में दस हजार बीज का खर्च आता है. स्थानीय बाजार में हाेटल, रेस्टोरेंट तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार इंग्लैंड व थाईलैंड विकसित बाजार है. स्थानीय बाजार में एक सौ से एक सौ अस्सी रूपये किलो एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में चार से पांच सौ रुपये केजी मिलता है.

रबी मौसम में 10 से 15 किलो प्रति एकड़ उत्पादन

सहायक निदेशक शष्य सह मनिहारी अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सुदामा ठाकुर ने बताया कि प्रति एकड़ में लागत 20 हजार रुपये आता है. उत्पादन एक भुट्टा में तीन से पांच ईंच का वजन 15 से 20 ग्राम का होता है. एक किलो में 40 से 50 भुट्टा निकलता है. शुद्ध आय के रूप में स्थानीय बाजार में सेल करने पर नब्बे हजार से ढाई लाख तक मिल सकता है. जबकि नालंदा, पटना जैसे मार्केट में भेजने पर सत्तर से अस्सी हजार रुपये प्रति एकड़ किसानों की कमाई संभव है. किसानों के लिए उपलब्ध कराया गया बेबी कॉर्न मक्का कृषि विभाग की ओर से सौगात के रूप में साबित होगा.

चाव से उपयाेग करते हैं आमजन

कटिहार अनुमंडल कृषि पदाधिकारी रंजीत कुमार झा का कहना है कि बेबी कॉर्न मक्के से बनी रेसीपी की आमजनों में काफी मांग है. इसे सलाद, सब्जी, क्रिस्पी बेबीकॉर्न समेत अन्य प्रकार के लजीज रेसीपी तैयार किया जा सकता है. जिसे लोगों द्वारा पंसद की जाती है. इतना ही नहीं हरा चारा के रूप में प्रति एकड़ किसानों को आठ से दस हजार तक की आय संभव है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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