राकेश वर्मा, बेरमो : कोल इंडिया की मेगा प्रोजेक्ट में शामिल सीसीएल की कारो ओसीपी के कोयला उत्पादन व ओबी निस्तारण पर वर्षों से शिफ्टिंग समस्या का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. फिलहाल 30 नवंबर से कोयला उत्पादन तथा ओबी निस्तारण का काम ठप है. इससे पहले रोजाना चार-पांच हजार टन कोयला उत्पादन हो रहा था. प्रबंधन के अनुसार चालू वित्त वर्ष में इस माइंस का कोयला उत्पादन लक्ष्य 17 लाख टन है. 30 नवंबर तक 16.41 लाख टन कोयला उत्पादन किया जा चुका था. चालू वित्त वर्ष में ओबी निस्तारण का लक्ष्य 15 लाख घन मीटर टन है और 30 नवंबर तक 3.75 लाख घन मीटर टन ओबी निस्तारण हो पाया है.
मालूम हो कि दो-तीन साल से कारो माइंस के विस्तारीकरण की राह में शिफ्टिंग समस्या आड़े आ रही है. कारो बस्ती गांव शिफ्ट हो जाने के बाद यहां से लगभग 40 मिलियन टन कोयला मिलेगा. कारो परियोजना के क्वायरी-टू में करीब 60 मिलियन टन कोल रिजर्व है. यह पूरा एरिया फोरेस्ट लैंड है. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार से इसका स्टेज-वन के बाद स्टेज दो का भी क्लीयरेंस मिल गया है. फिलहाल माइंस विस्तारीकरण के लिए कम से कम छह घरों को खाली कराना जरूरी है. इसके बाद लगभग पांच-छह लाख टन कोयला मिल जायेगा. परियोजना प्रबंधन के अनुसार इनमें से चार घरों को खाली करा लिया गया है. शेष दो घरों को भी खाली कराने का प्रयास जारी है. मालूम हो कि गत वर्ष 17 जून से 30 दिसंबर तक छह माह कोयला उत्पादन व ओबी निस्तारण का काम ठप रहा था. इसके कारण सीसीएल को लगभग 200 करोड़ तथा राज्य सरकार को करीब 50 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ था.आउटसोर्स कंपनी बीकेबी ने जुलाई 2020 में शुरू किया है काम
मालूम हो कि आउटसोर्स कंपनी बीकेबी को कारो परियोजना में सात साल के लिए कोयला उत्पादन व ओबी निस्तारण का काम मिला है. सात साल में कंपनी को 21 मिलियन टन कोयला तथा 21 मिलियन घन मीटर टन ओबी का निस्तारण करना है. सात साल में चार साल चार महीना पूरा हो गया है. आउटसोर्स कंपनी बीकेबी ने जुलाई 2020 से यहां कोयला उत्पादन तथा ओबी निस्तारण का काम शुरू किया था. अभी तक 140 लाख टन कोयला का उत्पादन करना था, लेकिन 90 लाख टन ही हो पाया. अभी तक 120 लाख घन मीटर टन ओबी का निस्तारण करना था, लेकिन 50 लाख घन मीटर टन ही हो पाया. आउटसोर्स कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट सुशील कुमार अग्रवाल का कहना है कि जमीन नहीं मिलने, कारो गांव का शिफ्टिंग नहीं होने के अलावा सीसीएल के अपने कई इश्यू के कारण कंपनी को काम करने में काफी परेशानी हो रही है. सीसीएल जमीन उपलब्ध करा देगी तो तेज गति से काम होगा. स्टेज दो का क्लीयरेंस मिलने के बाद अन्य प्रक्रियाएं चल रही है. आठ दिनों से माइंस में काम बंद रहने के कारण करीब 40 हजार टन कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है. एसके सिन्हा, पीओ, कारो ओसीपीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है