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देश में मुसलमानों को कमजोर करने की हो रही कोशिश : मदनी

रविवार को शहर के लहरा चौक स्थित मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद किशनगंज की आम सभा आयोजित हुई.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ऐतिहासिक आम सभा में कई राज्यों व पड़ोसी देश नेपाल के उलेमाओं ने की शिरकत

किशनगंज. रविवार को शहर के लहरा चौक स्थित मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद किशनगंज की आम सभा आयोजित हुई. वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ आयोजित आम सभा में ऐतिहासिक रही और इसमें जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद सैयद असद मदनी के अलावे देश के कई राज्यों से आए हस्तियों ने शिरकत की. इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद सैयद असद मदनी ने कहा कि देश में मुसलमानों को अलग-थलग करने और कमजोर करने की कोशिशें हो रही है. लेकिन रात चाहे कितनी अंधेरी और लंबी हो सुबह तो होती है, इसलिए मायूस होने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि आज प्लेस ऑफ वर्कशिप एक्ट को नजरअंदाज करते हुए फैसले सुनाए जा रहे है. उन्होंने कहा कि वक्त बदलता है, हमेशा एक जैसा नहीं रहता. मुसलमान सब्र, हिम्मत और सोच समझकर फैसला ले. उन्होंने कहा कि बुराई को भलाई के साथ दुर करें. जमीयत उलमा किशनगंज के प्रवक्ता एवं सचिव मुफ्ती मुहम्मद मुनाज़िर नोमानी कासमी ने बैठक के लक्ष्य एवं उद्देश्यों को बताया. वहीं बैठक को संबोधित करते हुए नेपाल के मंत्री और जमीयत उलेमा नेपाल के अध्यक्ष मुफ्ती खालिद सिद्दीकी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और शरियत विरोधी है, जिस पर सरकार को समय रहते रोक लगानी चाहिए. सभा को संबोधित करते हुए जमीयत उलमा ए हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी ने कहा कि जमीयत के जिम्मे दारों ने मुल्क को आबाद करने और इसे हरा-भरा बनाए रखने के लिए बहुत बड़ी कुर्बानियां दी हैं और हर मोड़ पर देश और राष्ट्र के लिए बलिदान दिया है. असाम के लाखों लोगों को शहरियत मामले में उन को हक दिलाया गया और बुलडोज़र मामले में जोरदार विरोध दर्ज कराया. जमीयत की कोशिश से मज़लूमों को न्याय मिले. आज की वर्तमान सरकार देश के एक बड़े तबके को परेशान करने की कोशिश कर रही है, हम सरकार से मांग करते है कि वक्फ संशोधन का पूरा बिल वापस लिया जाए. उन्होंने कहा कि वक्फ एक्ट 1995 में बदलाव की जरूरत नहीं है, इससे वक्फ को नुकसान होगा और वक्फ कमेटी की संपत्ति छीन ली जायेगी. मौलाना मोहम्मद नाजिम साहब ने साफ शब्दों में कहा कि ये वक्फ दान की भावना रखने वाले मुसलमानों द्वारा दी गई ज़मीन है, सरकार द्वारा नहीं.

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