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मुआवजा नहीं दिया जा रहा, तीसरी बार ग्रामीणों ने काम रोका

मुआवजा नहीं दिया जा रहा, तीसरी बार ग्रामीणों ने काम रोका

रमकंडा. रंका-रमकंडा सड़क चौड़ीकरण कार्य में रैयतों को मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. इसे लेकर पीडब्ल्यूडी के 66 करोड़ की लागत वाली इस सड़क को लेकर ग्रामीणों का विरोध लगातार जारी है. गत शुक्रवार को ग्रामीणों की मांग के अनुरूप निर्माण कार्य का आश्वासन देने के बावजूद रविवार को संवेदक ने मुआवजा भुगतान से पहले निर्माण कार्य शुरू कर दिया. इसकी सूचना मिलते ही भाजपा नेताओं समेत स्थानीय ग्रामीणों ने रमकंडा में हो रहे सड़क निर्माण कार्य को तीसरी बार रोक दिया. मामला बढ़ता देख रमकंडा पुलिस निर्माण स्थल पर पहुंची तथा लोगों को शांत कराया. इसके साथ ही एएसआइ कंचन कुमार ने संवेदक को ग्रामीणों की मांग पूरा होने के बाद ही सड़क निर्माण शुरू करने की बात कही. कहा कि लगातार इस तरह विरोध होता रहा, तो यहां विधि व्यवस्था गड़बड़ हो सकती है. उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों विरोध के बावजूद पिछले शुक्रवार को संवेदक की ओर से निर्माण कार्य शुरू होता देख ग्रामीण उग्र हो गये. वहीं शनिवार को ग्रामीणों ने उक्त सड़क निर्माण कार्य को रोक दिया था. क्या है मामला : दरअसल रंका रमकंडा पथ चौड़ीकरण के इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य में संवेदक की ओर से रमकंडा के बिचला टोला (दोहर पर) से मनमोहर चौक तक सड़क के लिए अधिग्रहित की जा रही जमीन से अतिक्रमण हटाये बिना ही सड़क निर्माण(पीसीसी) किया जा रहा है. ऐसे में सड़क चौड़ीकरण का कोई मतलब नही है. भाजपा नेता ज्ञानरंजन पांडेय, फरेज अंसारी, रामगृह पांडेय, जयप्रकाश यादव, ग्रामीण बदरुद्दीन अंसारी, इमामुद्दीन अंसारी, जाकिर अंसारी, इब्राहिम अंसारी, ऐनुल अंसारी व मैनुद्दीन अंसारी सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि पहले संवेदक की ओर से सड़क चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित जमीन की मापी कराकर अतिक्रमण हटाया जाये. वहीं रैयतों को मुआवजा उपलब्ध कराने के बाद ही सड़क निर्माण शुरू कराया जाये. ग्रामीणों ने कहा कि संवेदक की ओर से अतिक्रमण हटाये बिना ही सड़क निर्माण कर दिये जाने से सड़क की जमीन अतिक्रमित ही रह जायेगी. वहीं लोगों को जाम की समस्या से जूझना पड़ेगा. पुलिया तोड़कर दोबारा बने : निर्माण कार्य का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने आरोप लगाया की सड़क निर्माण में गुणवत्तापूर्ण काम नही हो रहा है. बिचला टोला दोहर पर पुलिया निर्माण में अनियमितता की पुष्टि करीब चार माह पहले ही हुई थी. विरोध के बाद संवेदक ने इसे तोड़कर फिर से बनाने का आश्वाशन दिया था. लेकिन करीब चार माह बीत जाने के बाद भू पुलिया तोड़ कर नहीं बनायी गयी. ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर अब उग्र आंदोलन करने कीबात कही है.

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