रांची. आदिवासी संस्कृति की पहचान सामुदायिकता, सहभागिता और साझेदारी है. आज पल्ली दिवस पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सभी समूहों ने अपनी प्रस्तुतियों में इन्ही गुणों को पेश किया है. आदिवासी समुदाय में हम खुशी भी मनाते हैं, तो एक साथ मनाते हैं. हम समुदाय को ऊंचा स्थान देना जानते हैं. जरूरत है कि हम अब पल्ली की सामुदायिकता की ओर बढ़ें. उक्त बातें रांची महाधर्मप्रांत के आर्चबिशप विसेंट आईंद ने कहीं. वह संत जोसेफ क्लब सभागार में पल्ली दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. मौके पर विशिष्ट अतिथि पल्ली पुरोहित फादर आनंद डेविड ने भी विचार व्यक्त किये.
आदिवासी नृत्य की विभिन्न शैलियों को किया प्रस्तुत
इस अवसर पर रांची के दस टोलों के प्रतिभागियों ने आदिवासी नृत्य की विभिन्न शैलियों को प्रस्तुत किया. सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रथम स्थान चुनवा टोली, द्वितीय स्थान कोनका सिरोम टोली और तीसरा स्थान धुमसा टोली को मिला. ओवरऑल विजेता का खिताब फातिमा नगर को, बढ़ी टोली को दूसरा और पत्थलकुदवा को तीसरा स्थान मिला. इस अवसर पर फादर दीपक बाड़ा, फादर ग्रेगोरी मिंज, फादर प्रफुल्ल टोप्पो, जेवियर फ्रांसिस खलखो, प्रभा बाड़ा, लुइसा बाखला और सुनीता रूंडा सहित अन्य उपस्थित थे.
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