Bihar News: बिहार के आरा में मरीजों के नाम पर सिस्टम को चूना लगाने का काम किया जा रहा है. दरअसल आरा सदर अस्पताल में इमरजेंसी के वक्त मरीजों को ढोने वाली गाड़ी एम्बुलेंस (102) से अब सामान ढोने का काम स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी कर रहे है. आरा सदर अस्पताल में रविवार की रात एम्बुलेंस के जरिए अस्पताल का सामान लाया गया. सामान लाने के बाद एक कर्मी के द्वारा स्ट्रेचर की मदद से उस सामान को इमरजेंसी के अंदर ले जाया गया. यह वहीं स्ट्रेचर है जब जरूरत पड़ने पर मरीजों को अंदर ले जाने के लिए नहीं मिलती है. ज्यादातर परिजन अपने मरीज को कंधे और गोद में लेकर डॉक्टर के पास ले जाते है.
पटना से एम्बुलेंस में भरकर आरा पहुंचाया गया सामान
एम्बुलेंस में सामान लेकर पहुंचे व्यक्ति ने बताया कि वो पटना से एम्बुलेंस में सामान भर कर आरा सदर अस्पताल लाया है. बोरा में बोर्ड है, जिसे इमरजेंसी में पहुंचना था. यह सामान सदर अस्पताल के अधिकारियों के कहने पर लाया गया है. हालांकि इस मामले पर सदर अस्पताल के किसी भी अधिकारी कुछ बताने से बच रहे है. बतादें कि अस्पतालों में सामान ढोने के लिए अलग से माल वाहन की व्यवस्था होती है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग उसका उपयोग न करके एम्बुलेंस का उपयोग कर रही है. यह मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई है. इधर, डीएम ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है.
डीएम ने दिया जांच का आदेश
सदर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे मरीजों से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के हाथों में एम्बुलेंस की ठेकेदारी दे दी गई है, जिससे विधि–व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई. ऐसे ठेकेदारों का लाइसेंस रद्द कर देनी चाहिए. इसके साथ ही इस तरह के आदेश देने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए. 102 पर डायल करने के बाद भी कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया जाता है. शव को ले जाने के लिए गरीबों को दो हजार रुपए देकर प्राइवेट एम्बुलेंस से ले जाना पड़ता है. वहीं इस मामले में डीएम ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है. जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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