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Sitamadhi News : रीगा में 48 राजकीय नलकूप में से 12 खराब

किसानों के सिंचाई के लिए लगाए गए राजकीय नलकूपों की हालत कई वर्षों से मृतप्राय हो गई है.

रीगा.

प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत किसानों के सिंचाई के लिए लगाए गए राजकीय नलकूपों की हालत कई वर्षों से मृतप्राय हो गई है. प्रखंड क्षेत्र के किसानों का प्रमुख खेती गन्ना की खेती था. चीनी मिल के संचालन के लिए पर्याप्त मात्रा में किसान गन्ना की खेती करता था. अच्छे उत्पादन के लिए सरकार ने सबसे ज्यादा राजकीय नलकूप रीगा प्रखंड के किसानों के हित में लगवाया.

लगभग चार दर्जन राजकीय नलकूपों की संख्या इस प्रखंड में है. जो किसी भी अन्य प्रखंडों में नहीं है. लेकिन आज राजकीय नलकूपों की हालत अत्यंत ही दयनीय है. कहीं नाला नहीं, कहीं मोटर खराब, कहीं बिजली का तार गायब, जहां चालू है, वहां नाला नहीं है. नाला को अगल-बगल के किसानों ने अपने खेत में मिला लिया है, क्योंकि विभाग उसका मरम्मत नहीं करवाया.

करोड़ की लागत से निर्मित अनुमंडल कार्यालय का उद्घाटन नहीं

किसान पारसनाथ सिंह, दिनेश कुमार व रविंद्र कुमार ने बताया कि लघु जल संसाधन विभाग का अनुमंडल कार्यालय के सहायक अभियंता से लेकर कर्मचारियों तक के लिए क्वार्टर एवं कार्यालय का निर्माण करोड़ों की लागत से कराई गई. ताकि प्रखंड क्षेत्र के सभी राजकीय नलकूपों का देखरेख सही ढंग से हो सके. परंतु दुख के साथ कहना पड़ता है कि अनुमंडल कार्यालय का उद्घाटन तक नहीं हुआ. निर्माण कराए लगभग 32 वर्ष बीत गया. अब तो भवन एवं क्वार्टर का खिड़की एवं किवाड़ भी गायब हो गया है. जहां दिन में भी जाने में डर लगता है. किसानों ने बताया कि इस विभाग का नाम भी बदल दिया गया है, किससे इसकी शिकायत की जाए, पता नहीं लग रहा है. वैसे प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने बताया कि सिंचाई विभाग मेरे देखरेख से अलग है.

राजकीय नलकूपों से हजारों एकड़ में होती थी खेती

किसानों ने बताया कि पहले राजकीय नलकूपों से हजारों एकड़ खेती की सिंचाई होती थी, अब तो इससे 100 एकड़ भी सिंचाई प्रखंड क्षेत्र के किसानों का नहीं हो रहा है. जबकि बिजली की आपूर्ति पहले के अपेक्षा काफी अच्छी हुई है. लगातार बिजली रहती है. जो किसान बिजली आधारित बोरिंग करवाया है, उसे काफी मदद मिल रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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