Sundergarh News: सुंदरगढ़ शहर की सीमा से लगे किरेई बाइपास चौक पर 2007 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित की गयी थी. गांधी जयंती के अवसर पर पोढ़बहाल स्थित केएफएम (कौशल फेरोमेटल्स प्रा लि) नामक कंपनी के सौजन्य से इस प्रतिमा व इसके चारों ओर निर्मित बगीचे का उद्घाटन तत्कालीन जिलाधीश कृष्णन कुमार द्वारा किया गया था. इस प्रतिमा व बगीचे के निर्माण व रखरखाव की जिम्मेदारी भी जिला प्रशासन द्वारा उक्त कंपनी को दी गयी थी. यह कंपनी अपने कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत इस प्रतिमा का रखरखाव करती आयी थी. गांधी जी की प्रतिमा की साफ-सफाई व रंग-रोगन कंपनी के जिम्मे था.
लोगों के आकर्षण का बना था केंद्र, बगीचे में मिटाते थे थकान
केएफएम की ओर से प्रतिमा के चारों ओर फूल व औषधीय पौधों के बगीचे का निर्माण, सौंदर्यीकरण व रखरखाव की व्यवस्था की गयी थी. साथ ही इस स्थल पर तथा इसके चारों ओर दूधिया रोशनी की भी व्यवस्था की गयी थी, जिससे रात में भी यह स्थान जगमगाता था. प्रतिमा स्थल पर कंपनी की ओर से प्रति वर्ष गांधी जयंती का उत्सव मनाया जाता था, जिसमें स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, स्कूली बच्चों व ग्रामवासियों को शामिल किया जाता था. न केवल सुंदरगढ़ शहर, बल्कि झारसुगुड़ा की ओर से आने वाले लोगों के लिए यह एक आकर्षण स्थल बन गया था, जहां लोग रुकते, फोटो खींचते, सेल्फी लेते, बगीचे में टहलते और थकान मिटाते थे.
2017-18 में प्रशासन ने संभाली थी रखरखाव की जिम्मेदारी, लेकिन नहीं दिया ध्यान
वर्ष 2017-18 में इस प्रतिमा के रखरखाव की जिम्मेदारी प्रशासन ने केएफएम से वापस ले ली. प्रशासन की ओर से इसके ढांचे में कुछ निर्माण कार्य करने के साथ ही इसके रखरखाव की व्यवस्था किये जाने की बात कही गयी थी. लेकिन तब से आज तक इस स्थल पर न कोई निर्माण कार्य किया गया है, न ही प्रतिमा या उससे संलग्न बगीचे के रखरखाव की कोई व्यवस्था की गयी है. प्रशासन ने इसे अपने कब्जे में लेने के बाद जैसे इस ओर से आंखें मूंद ली हैं. बगीचा अब झाड़ में तब्दील हो चुका है. चारों ओर गंदगी और कचरे से पटे इस बगीचे के बीच गांधी जी की प्रतिमा मौसम की मार, कोयले की धूल व चिड़ियों द्वारा छोड़ी गयी गंदगी से लिपटी हुई है. यहां तक कि रात के समय इस बगीचे का असामाजिक तत्वों द्वारा अनैतिक कार्यों के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है.शहर के सचेतन नागरिकों ने जताया आक्रोश
शहर के भी सचेतन नागरिक इसकी दुर्दशा के लिए केएफएम कंपनी को जिम्मेदार मानते हैं. कभी-कभी इसकी अधिकारियों से शिकायत करने के साथ ही इसके पुनरुद्धार की मांग भी करते हैं. पर प्रशासन की अनुमति के अभाव में न केएफएम ऐसा कर सकता है, न ही प्रशासन कोई कदम उठाता प्रतीत होता है. अब तो गांधी जयंती के अवसर पर भी प्रशासन को इस चौक पर खड़े गांधी जी की याद नहीं आती. इक्के-दुक्के ग्रामीण गांधी जी का स्मरण कर पुष्पमाला अर्पित कर दें, तो अलग बात है. इससे ग्रामीणों में असंतोष है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है