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बंद खदान से उठ रही आग की लपटें, निकल रही दमघोंटू गैस

खलारी कोयलांचल के करकट्टा स्थित बंद केडीएच पैच के कोयला खदान में महीनों से आग की लपटें उठ रही है.

आग कब बुझेगी? खलारी में जमीन के नीचे धधक रही कोयले की खदान, जहरीले धुएं के बीच जीने को मजबूर लोग

प्रतिनिधि, खलारी. खलारी कोयलांचल के करकट्टा स्थित बंद केडीएच पैच के कोयला खदान में महीनों से आग की लपटें उठ रही है. आग की लपटें जमीन फाड़ते हुए जंगल की ओर बढ़ती जा रही है. दूसरी ओर आबादी की ओर भी बढ़ती जा रही है. रात के समय आग की लपटें भयानक दिखायी पड़ती हैं. जबकि पैच में आग की लपटें पिछले पांच साल से ऐसे ही कमोबेश कई जगहों पर दिख रही है. साथ ही वहां से निकल रही दमघोंटू गैस काफी बढ़ गयी है. साथ ही पास में बंद भूमिगत खदान से भी लगातार जहरीले धुएं निकल रहे हैं, इसके कारण वातावरण में खुल रही जहरीली गैस बंद खदान से होते हुए नजदीक के घरों तक पहुंच रही है. जानकारों की माने तो करकट्टा में छह दशक पूर्व 4, 5 और 6 नंबर अंडर ग्राउंड माइंस जल चुका है और इस इलाकों में जहां की धरती की सतह कमजोर होती है, वहां जमीनदोज होकर या भू-धंसान होकर जहरीला धुआं निकलने लगता है. वहीं, आग का दायरा करीब दो किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है. कुल मिलाकर खुले और भूमिगत बंद खदान में बड़े पैमाने पर आग लगी हुई है. दरअसल पूर्व में केडीएच परियोजना ने कोयला खनन कर फेस खुला छोड़ दिया. इससे कोयला का फेस लगातार हवा के संपर्क में है और कोयले में लगी आग भयानक रूप से फैलती जा रही है. यहां रहने वाले करकट्टा, विश्रामपुर व खिलानधौड़ा के लोगों का नारकीय जीवन हो गया है.

उच्च पदाधिकारी भी कर चुके हैं निरीक्षण

करकट्टा में केडीएच पैच खदान वर्ष 2018-19 में खुली. वहां 12 से 13 माह खनन चलने के बाद जमीन क्लीयरेंस नहीं होने के कारण खदान बंद हो गयी. खदान बंद होने के बाद वहां आग पकड़ लिया. वर्ष 2022 फरवरी में आग का भयावह रूप ले लिया था. जिसे लेकर पूर्व में सीसीएल प्रबंधन और राज्य सरकार के उच्च पदाधिकारी हालात का जायजा ले चुके हैं. खदान विस्तारीकरण के नाम पर प्रबंधन लोगों को विस्थापित करने का आश्वासन देता रहता है. लेकिन कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है इससे आग बढ़ती जा रही है. खदान में लगी आग से करकट्टा और खिलानधौड़ा आवासीय क्षेत्र कभी भी जमींदोज हो सकता है. सीसीएल की बंद पैच खदान में और आसपास की खदानों के माने तो एक दशक के ऊपर से आग लगी हुई है. अगर समय रहते आबादी क्षेत्र विस्थापन नीति से खाली नहीं करवाया गया तो एक बड़ी आबादी काल के गाल में समा सकता है.

संसद में आवाज उठा चुकी हैं महुआ माजी

इस पूरे मामलों को लेकर झामुमो प्रखंड अध्यक्ष अनिल पासवान ने कहा कि पूरा करकट्टा व खिलानधौड़ा के लोगों के बीच हमेशा भय का माहौल रहता है. डाॅ महुआ माजी संसद में आवाज उठाने और करकट्टा का दौरा के बाद एनके एरिया की ओर से विस्थापन को लेकर जागरुकता जरूर दिखायी थी. सार्थक पहल नहीं की गयी. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में फिर से महुआ माजी के साथ अब हेमंत सरकार से भी गुहार लगायेंगे.

जोरदार आंदोलन के बाद सुनेगा प्रबंधन

विश्रामपुर के रैयत रतिया गंझू ने कहा कि प्रबंधन ग्रामीणों को सिर्फ छलने का काम करती है. गंझू ने कहा कि जामुनदोहर के साथ करकट्टा, विश्रामपुर और खिलानधौड़ा को एकसाथ सीसीएल प्रबंधन से विस्थान की मांग को लेकर बीते वर्ष अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे थे. तब जाकर प्रबंधन द्वारा विस्थापन का आश्वासन दिया गया. उस समय सीसीएल जागरूकता दिखाई, लेकिन जामुन दोहर के बाद पर अब फिर से केडीएच शांत बैठ गया. उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही सीसीएल द्वारा सकारात्मक पहल नहीं करती है तो बाध्य होकर पुनः आंदोलन किया जाएगा.

बिना प्लानिंग करकट्टा में बना दिया खदान

तुमांग पंचायत के मुखिया संतोष कुमार महली ने बताया कि अंडरग्राउंड माइंस एरिया में बिना प्लानिंग का सीसीएल ने करकट्टा में खदान खोल दिया. इसके कारण करकट्टा, विश्रामपुर व खिलानधौड़ा के लोगों को आज भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अगर वहां के ग्रामीणों को शुरुआत में ही प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा और विस्थापित कर खदान को सुचारू रूप से चलाता तो आज यह परिस्थितियां उत्पन्न नहीं होती.

कई बार हो चुकी है भू-धंसान

विश्रामपुर मुखिया दीपमाला कुमारी ने बताया कि अंडरग्राउंड माइंस के ऊपर बसा करकट्टा-विश्रामपुर के इलाकों में दर्जनों जगहों पर पूर्व में भू-धंसान जैसी घटना हो चुकी है. ग्रामीण लगातार विस्थापन की मांग कर रहे हैं. बावजूद प्रबंधन की ओर से सकारात्मक पहल नहीं की जा रही है. उन्होंने करकट्टा स्थित बंद खदान में लगी आग बुझाने एवं बंद खदान को समतलीकरण करने समेत ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं की मांग की है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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