Jamshedpur news.
मध्य दिसंबर गुजर रहा है. ठंड की प्रबलता दिन व दिन ठिठुरन पैदा कर रही है. वहीं शहरी क्षेत्र के तीनों नगर निकायों की ओर से शहर के कुछ गिने-चुने चौराहों पर ही अलाव जलाये जा गये हैं. वहीं कुछ शेल्टर होम में पर्याप्त सुविधाएं हैं, लेकिन कई ऐसे शेल्टर होम हैं, जहां कंबल के बिना लोग कांप रहे हैं. इससे हटकर मानगो जेपी सेतु बस स्टैंड और मानगो दाइगुटू शेल्टर होम के भवन जर्जर हो गये हैं, यहां आसरा लेना खतरनाक है. किसी ने आज तक इस ओर तक ध्यान ही नहीं दिया. जेएनएसी के जेपी सेतु बस स्टैंड शेल्टर होम के दरवाजे टूट गये हैं और दीवारों पर दरारें हैं व गिरे पड़े है. इस सब खतरों के बीच यहां रहने वाले राहगीरों और बेसहारों के लिए कंबल, चादर, तकिया आदि तक का इंतजाम नहीं है. ऐसे में रात में भटक कर आये राहगीरों को रुकने के लिए स्वयं या पुराने कंबल से काम चलना पड़ता है.शेल्टर होम :
1. मानगो जेपी सेतु बस स्टैंड
क्षमता – 50 (केवल पुरुषों के लिए)स्थिति – परिसर में लगे कई दरवाजे टूट कर लटक रहे हैं. दीवार भी कई जगह टूटे गये हैं. यहां 50 लोगों के रहने की व्यवस्था है, लेकिन पर्याप्त संख्या में कंबल, चादर, तकिया व मच्छरदानी नहीं हैं. बस स्टैंड के बगल में होने से सुबह और रात में भीड़ होती है. वर्तमान में 25 से 30 लोग प्रतिदिन रहते हैं.2. किशोरी नगर
क्षमता : 16 (सिर्फ महिलाएं)स्थिति – यहां केवल महिलाओं के रहने की व्यवस्था है. वर्तमान में 12 से 13 महिलाएं रह रही हैं, जबकि 16 बेड की सुविधा है. बिल्डिंग की स्थिति ठीक है और पर्याप्त संख्या में कंबल, चादर, तकिया, मच्छरदानी आदि उपलब्ध है.3. बारीडीह चौक
क्षमता : 16 बेड (पारिवारिक)स्थिति – बिल्डिंग की स्थिति ठीक है. यहां पारिवारिक लोगों के रहने की व्यवस्था है. वर्तमान में 16 बेड की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन 25 से ज्यादा लोग यहां रह रहे हैं. केंद्र में चादर, कंबल, तकिया उपलब्ध है, लेकिन ज्यादा लोगों के रहने से परेशानी होती है.4. बर्मामाइंस बाजार
क्षमता : 16 बेड (पारिवारिक)स्थिति – पारिवारिक आश्रय गृह बर्मामांइस बाजार के समीप है. यहां के भवन की स्थिति ठीक-ठाक है. 16 बेड की व्यवस्था है. वर्तमान में 12 से 13 लोग ही प्रतिदिन रहते हैं. यहां रहने वाले लोग पानी की समस्या का समाधान चाहते हैं.5. मानगो दाइगुटू
क्षमता : 15 बेड (सिर्फ महिलाओं के लिए )स्थिति – भवन की स्थिति काफी जर्जर है. शेल्टर होम परिसर की घेराबंदी अब तक नहीं हो सकी है. महिलाओं का कहना है कि पेयजल की समस्या से परेशानी होती है. कंबल, चादर, तकिया मच्छरदानी सहित तमाम व्यवस्था यहां उपलब्ध है, लेकिन भवन जर्जर होने से हमेशा अनहोनी का भय बना रहता है.6. मानगो कुमरूम बस्ती
क्षमता : 50 बेड (केवल पुरुषों के लिए)स्थिति – मानगो चौक से काफी दूरी पर होने से यहां बने शेल्टर होम में लोग जाना नहीं चाहते हैं. दिन में यहां ताला लगा रहता है. शाम छह बजे के बाद ही खुलता है. केंद्र में पर्याप्त संख्या में चादर, तकिया और कंबल की व्यवस्था है. 50 बेड की क्षमता वाले केंद्र में 20 से 25 ही लोग ही रहते हैं.7. साकची छाया नगर
क्षमता -16 बेड ( केवल पुरुषों के लिए)स्थिति – नवनिर्मित भवन काफी साफ सुथरा है. यहां 16 पुरुषों के रहने की व्यवस्था है. चादर, कंबल, तकिया, गद्दा सब उपलब्ध है. पानी पीने की व्यवस्था है. जेएनएसी एरिया का सबसे स्वच्छ शेल्टर होम में इसकी गिनती होती है.8. कदमा मरीन ड्राइव
क्षमता : 50 (केवल पुरुषों के लिए)स्थिति : भवन चकाचक है. यहां 50 बेड की व्यवस्था है. यहां बेडशीट से लेकर कंबल, चादर, तकिया, पलंग सभी नये सिरे से आवंटित हुआ है, लेकिन 20 से 25 लोग यहां रहते हैं. सफाई के मामले में भी शेल्टर होम नंबर वन है.एक अप्रैल 2023 से निकाय स्तर से हो रहा शेल्टर होम का संचालन
शेल्टर होम का संचालन एक अप्रैल 2023 से निकाय स्तर से हो रहा है. इससे पहले शेल्टर होम का संचालन प्राइवेट एजेंसी के माध्यम से पूरे राज्य में हो रहा था. एजेंसी के सदस्य ही शेल्टर होम की सारी व्यवस्था की देखरेख करते थे. वर्तमान में जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति क्षेत्र और मानगो नगर निगम अपने-अपने निकाय क्षेत्रों में शेल्टर होम का संचालन कर रहे हैं. नगर निकाय के माध्यम से ही वेतन से लेकर तमाम सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है.अब तक नगर निकायों को नहीं मिला कंबल का आवंटन
जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति और मानगो नगर निगम को अब तक कंबल का आवंटन नहीं हुआ है. विधानसभा चुनाव के कारण कंबल आवंटन की प्रक्रिया विलंब से शुरू हुई है. हालांकि नगर निकायों की ओर से जिला स्तर पर कंबल आवंटन के लिए आवेदन भेज दिया गया है, लेकिन आवंटन अब तक नहीं मिला है.कंबल लेकर चले गये लोग
शेल्टर होम की देखरेख करने वाले कर्मचारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि ज्यादातर लोग कंबल लेकर चले जाते हैं. इस कारण शेल्टर होम में कंबल की कमी हो गयी है. शेल्टर होम में आने वाले रात में आते हैं. ठंड को देखते हुए लोगों को आश्रय दे देते हैं, लेकिन सुबह में निकल लेते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है