प्रतिनिधि,जसीडीह .जसीडीह के डाबरग्राम मोड़ स्थित इस्कॉन मंदिर में बुधवार को श्रीमद् भागवतगीता की 5161वीं जयंती मनायी गयी. इस अवसर पर भक्तों की भीड़ उमड़ी. गीता परायण में इस्कॉन अनुयायियों व भक्तों ने गीता के 18 अध्यायों में 700 श्लोकों का पाठ किया. मौके पर लोगों बांग्लादेश की घटनाओं पर चिंता जतायी. इसके साथ ही इस्कॉन परिसर में गीता महायज्ञ, कीर्तन, हरिनाम संकीर्तन का भी आयोजन किया गया. इस दौरान भक्तों के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया. कार्यक्रम में देवघर इस्कॉन प्रमुख श्रीनिवास गोपाल दास ने गीता जयंती के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि मार्ग शीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती के रूप में मनायी जाती है. कुरुक्षेत्र की रणभूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन ही अर्जुन को जो उपदेश दिये थे. उसे गीता कहा जाता है. श्रीमद्भागवत गीता हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ है और गीता जयंती समारोह श्रीमद्भागवत गीता के जन्म को समर्पित है. गीता जयंती मनाने का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण के उपदेश को याद करना व उनका पालन करना है. गीता जयंती पर गीता पाठ करने से भगवान कृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. गीता पाठ करने से मनुष्य का कल्याण होता है. इसलिए गीता साक्षात भगवान योगेश्वर के मुखारविंद से निकली हुई बनी है. वही कार्यक्रम के अंत में बांग्लादेश में सनातन धर्मालंबियों के साथ हो रहे क्रूर अत्याचार की समाप्ति के लिए विशेष कीर्तन का आयोजन किया और भगवान से प्रार्थना की. इस मौके पर इस्कॉन अनुयायी मौजूद थे.
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