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Anang Trayodashi 2024 Vrat Katha: आज अनंग त्रयोदशी पर यहां से पढ़ें ये व्रत कथा

Anang Trayodashi 2024 Vrat Katha: इस वर्ष अनंग त्रयोदशी का व्रत रविवार, 13 दिसंबर 2024 को आयोजित किया जाएगा. इस व्रत के पालन से जीवन में आने वाली कठिनाइयां समाप्त होती हैं. यहां अनंग त्रयोदशी व्रत की कथा पढ़ें.

Anang Trayodashi 2024 Vrat Katha: भारतीय परंपरा में सदियों से चैत्र शुक्ल त्रयोदशी और मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी व्रत के रूप में मनाया जाता रहा है. श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने उन गोपियों के साथ वृंदावन में महारास किया था, जो उन्हें पति के रूप में चाहती थीं. वर्ष 2024 में यह पर्व 13 दिसंबर को मनाया जा रहा है. इस दिन अनंग त्रयोदशी व्रत कथा पढ़ना शुभ माना जाता है. यहां देखें अनंग त्रयोदशी व्रत कथा

अनंग त्रयोदशी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माता सती ने आत्मदाह किया, तब महादेव ध्यान में लीन हो गए थे. इस बीच, संसार में तारकासुर के अत्याचारों से हाहाकार मच गया था. उसने तीनों लोकों पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया था, जिससे देवता चिंतित हो गए. एक दिन सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए और तारकासुर से मुक्ति का उपाय जानना चाहा.

ब्रह्मा जी ने बताया कि तारकासुर के आतंक से केवल भगवान शिव ही रक्षा कर सकते हैं, क्योंकि शिव के पुत्र के हाथों ही तारकासुर का अंत होगा. लेकिन समस्या यह थी कि शिव जी ध्यान में मग्न थे और उनके ध्यान को भंग करने का साहस किसी देवता में नहीं था. यह स्थिति अत्यंत गंभीर थी. केवल तभी तारकासुर का विनाश संभव था जब शिव जी ध्यान से बाहर आएंगे.

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इस संकट के समय में कामदेव ने शिव जी का ध्यान भंग करने का निर्णय लिया. वह अपनी पत्नी रति के साथ शिवालय पहुंचे और दोनों ने भगवान शिव का ध्यान भंग करने का प्रयास किया. अंततः कामदेव ने भगवान शिव पर पुष्प बाण का प्रहार किया, जिससे उनके मन में प्रेम जागृत हो सके और वे ध्यान से बाहर आ सकें.

हालांकि, कामदेव की योजना सफल नहीं हुई. ध्यान टूटने पर शिव जी अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया. अपने पति को इस अवस्था में देखकर रति विलाप करने लगी. उसने शिव जी से क्षमा मांगी और कामदेव को उनका वास्तविक स्वरूप लौटाने की प्रार्थना की.

भगवान शिव ने कहा कि कामदेव का शरीर जलकर भस्म हो गया है, और वे अब अनंग के रूप में विद्यमान हैं, अर्थात् वे अब बिना अंगों के हो गए हैं. वे जीवित रहेंगे, किंतु वे सभी के हृदय में काम के रूप में उपस्थित रहेंगे. द्वापर युग में वे भगवान शिव के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में पुनर्जन्म लेंगे और पुनः शरीर प्राप्त करेंगे.

शिव जी ने रति और कामदेव को आशीर्वाद प्रदान किया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अनंग त्रयोदशी के दिन जो कामदेव और रति की पूजा करता है, उसके प्रेम संबंध में गहराई आती है.

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