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एक राष्ट्र एक चुनाव होने पर काले धन पर लगेगा लगाम

टीएमबीयू के पीजी हिंदी विभाग में गुरुवार को एक राष्ट्र एक चुनाव विषय पर परिचर्चा हुई. हेड प्रो नीलम महतो ने कहा कि देश की प्रगति और विकास के लिए एक चुनाव का होना अच्छा है. इससे धन की बचत होगी. एक राष्ट्र एक चुनाव होने पर काले धन पर लगाम लगेगा.

टीएमबीयू के पीजी हिंदी विभाग में गुरुवार को एक राष्ट्र एक चुनाव विषय पर परिचर्चा हुई. हेड प्रो नीलम महतो ने कहा कि देश की प्रगति और विकास के लिए एक चुनाव का होना अच्छा है. इससे धन की बचत होगी. एक राष्ट्र एक चुनाव होने पर काले धन पर लगाम लगेगा. इसके साथ संसाधनों की बचत भी होगी. यह चुनौती है कि विविधताओं से युक्त इस विशाल देश में इसे कैसे संभव किया जाये. प्रो मनोज कुमार ने कहा कि एक जागरूक नागरिक होने के नाते अपेक्षा करता हूं कि संसदीय मर्यादा और संसदीय प्रक्रिया के बीच एक संतुलन होना चाहिए. एक राष्ट्र एक चुनाव अभी वैचारिक प्रक्रिया के दौर से गुजर रहा है. राज्य के अलग-अलग हित धारक इस पर सोच-विचार रहे हैं. कोई भी प्रारूप जब तैयार होता है, तो उसमें कुछ कमियां रह जाती हैं. प्रो नीलू कुमारी ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा के चुनाव कराये जाए. डॉ दिव्यानंद ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव से देश दो दलीय व्यवस्था की तरफ जा सकता है. देश की बड़ी और शक्तिशाली पार्टी ही इस मुकाबले में रहेंगी. क्षेत्रीय पार्टियां धीरे-धीरे कमजोर होती जायेगी. नागरिक चेतना से अपेक्षा बढ़ जायेगी. इस तरह इससे लोकतंत्र का परिदृश्य भी बदलेगा. मौके पर विद्यार्थी शुभम कुमार, सदानंद सिंह, प्रियंका राज, जूली कुमारी, पूजा कुमारी अंशु सहित जेआरएफ शोधार्थी पूजा कुमारी,सचिन कुमार आदि मौजूद थे.

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एमईसी के अध्यक्ष ने फिर पत्र भेज कर कहा, पहले पत्र में ही सब कुछ कह चुके है

मुस्लिम एजुकेशन कमेटी (एमईसी) का विवाद दिनों दिन गहराता जा रहा है. एमईसी चुनाव कराने के लिए गठित आयोग ने संस्था के अध्यक्ष को बुधवार को दोबारा पत्र भेजकर गुरुवार को मीटिंग करने के लिए बुलाया था. लेकिन अध्यक्ष नहीं आये. आयोग के सहायक चुनाव पर्यवेक्षक डॉ एनएच नईम ने बताया कि अध्यक्ष मो इस्लाम ने गुरुवार को फिर से पत्र भेजकर कहा कि पहले पत्र में ही सब कुछ लिख दिया है. ऐसे में मीटिंग में आना उचित नहीं है. डॉ नईम ने बताया कि महासचिव प्रो फारूक अली ने भी पत्र भेजकर कहा कि आयोग चुनाव कराये. आचार संहिता लागू होने के बीच जो एमईसी ने निर्णय लिया है. उस समय अध्यक्ष को ही अधिकार था. महासचिव इस पूरे निर्णय में नहीं है. उन्होंने बताया कि आयोग को एमईसी के अध्यक्ष व महासचिव चुनाव व अन्य मामलों को लेकर सहयोग नहीं कर रहे है. उनलोगों के साथ मीटिंग करने का उद्देश्य था कि पूरे मामले में रास्ता निकाल का चुनाव कराया जा सके. अब वे लोग सहयोग नहीं करते हैं, तो आयोग अपने स्तर से आगे की प्रक्रिया करेगा. जल्द ही इसकी जानकारी दी जायेगी.

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