फिल्म -बंदिश बैंडिट्स
निर्देशक -आनंद तिवारी
कलाकार -ऋत्विक भौमिक, श्रेया चौधरी, दिव्या दत्ता, अतुल कुलकर्णी, राजेश तैलंग, शीबा चड्ढा, कुणाल रॉय कपूर अर्जुन और अन्य
प्लेटफार्म -अमेजॉन प्राइम वीडियो
रेटिंग – तीन
bandish bandits season 2 review :साल 2020 में आयी म्यूजिकल ड्रामा सीरीज बंदिश बैंडिट्स अपने लीग से हटकर कंटेंट की वजह से उस वक्त बेहद पसंद की गयी थी.आखिरकार चार साल के लम्बे इन्तजार के बाद इसके दूसरे सीजन ने दस्तक दे दिया है. कहानी प्रेडिक्टेबल और धीमी है, लेकिन जिस तरह से इसे प्रस्तुत किया गया है.वह आपको बांधे रखता है. कलाकारों का उम्दा परफॉरमेंस और शानदार म्यूजिक एक बार फिर इस सीजन को देखने लायक बना गया है.
म्यूजिकल उथल पुथल में दो प्रेमियों को खुद को पाने की है कहानी
दूसरा सीजन वही से शुरू होता है, जहां से पहला खत्म हुआ था. राधे राठौड़ (ऋत्विक भौमिक) संगीत सम्राट का खिताब अपने नाम कर चुका है. तीन महीने बीत चुके हैं। वह अपने परिवार की संगीत की विरासत को संभालने में जुटा है. इधर तमन्ना (श्रेया चौधरी) को कसौली के रॉयल हिमालयन म्यूजिक स्कूल में दाखिला मिल गया है।इसी बीच दादा, पंडित राधेमोहन राठौड़ (नसीरुद्दीन शाह) का निधन हो जाता है.पहले ही एपिसोड में कहानी में ट्विस्ट जोड़ दिया जाता है, इस ट्विस्ट को बढ़ावा इससे मिल जाता है,जब लेखक कैलाश मांडरेकर (सुयश तिलक) पंडित राधेमोहन राठौड़ पर लिखी किताब में उनके स्याह पक्षों को उजागर कर देते हैं. जिससे राधे के पारिवारिक म्यूजिक विरासत पर भी आंच आ जाती है.परिवार को बहुत अपमान सहना पड़ता है. यह सबकुछ चल रहा होता है कि इंटरनेशनल बैंड चैम्पियनशिप की घोषणा होती है और राधे परिवार की साख को फिर से स्थापित करने के लिए इस म्यूजिक चैंपियनशिप में अपना बैंड बनाकर हिस्सा लेने की तैयारी करता है. इसी चैंपियनशिप में तमन्ना के म्यूजिक स्कूल के बैंड की भी अपनी दावेदारी है.क्या तमन्ना और राधे एक दूसरे के आमने सामने भिड़ेंगे या इनकी राहें इस बार एक हो जायेगी। इसके लिए आपको सीरीज देखनी पड़ेगी।
सीरीज की खूबियां और खामियां
सीरीज में शुरुआत के चार एपिसोड में राधे और तमन्ना की मौजूदा जर्नी को कनेक्ट करके दिखाया गया है. जो एक दूसरे से दूर हैं, लेकिन उनके संघर्ष और जद्दोजहद एक जैसे ही हैं। उसके बाद के एपिसोड में इंटरनेशनल बैंड चैंपियनशिप पर फोकस किया गया है. आमतौर पर इंटरनेशल चैंपियनशिप में जो दिखाया गया है. वो अब तक कई म्यूजिक रियलिटी शो का हिस्सा रहा है, इसलिए वह पहलू ज्यादा अपील नहीं करता है.मामला बोरिंग भी नहीं हो पाया है.हां इस बार कहानी से ड्रामा थोड़ा ज्यादा जुड़ गया है. सीरीज प्रतिस्पर्धा , ईर्ष्या,आंतरिक द्वन्द,जैसे इंसानी पहलुओं को सामने लाने के साथ -साथ महिला सशक्तिकरण को भी इस बार खुद से बखूबी जोड़ गयी है. शीबा चड्ढा के किरदार से इसको आवाज मिलती है.खामियों की बात करें तो सीरीज की लंबाई थोड़ी कम की जा सकती थी.कुछ सबप्लॉट्स कहानी में ज्यादा कुछ जोड़ते नहीं हैं. उदाहरण के तौर पर तमन्ना का अयान के साथ अफेयर या अनन्या का किरदार और फॅमिली का इंट्रोडक्शन मूल कहानी में ज्यादा कुछ नहीं लेकर आ पाता है.सीरीज के जरुरत से ज्यादा प्लॉट्स शो की रूचि को कमजोर करते हैं.इसके साथ ही इस बार सीरीज का नरेटिव भी बेहद स्लो है. सीरीज का संवाद किरदार और कहानी के साथ न्याय करता है. सीरीज के सबसे अहम किरदारों में से एक संगीत की बात करें तो पहले सीजन में संगीत की जिम्मेदारी शंकर-एहसान-लॉय को मिली थी. इस बार शो के म्यूजिक सुपरवाइजर आकाशदीप सेनगुप्ता ने एना रहमान और दिग्विजय सिंह परियार (डीगवी) जैसे संगीतकारों को शामिल किया है, लेकिन बीते सीजन की तरह इस बार भी सही सुर लगा है. जो दर्शकों को गहराई तक प्रभावित करता है.जिसमें भारतीय संगीत की समृद्ध विरासत, भावपूर्ण राग के साथ एनर्जी से लबरेज फ्यूज़न बैंड का परफॉरमेंस सभी कुछ शामिल किया गया है. बैकग्राउंड म्यूजिक भी अच्छा बन पड़ा है, जो किसी भी म्यूजिकल शो का अहम पहलू है. सिनेमेटोग्राफी पक्ष उम्दा है.
कलाकारों का अभिनय है शानदार
अभिनय की बात करें तो एक बार फिर श्रेया और ऋत्विक ने यह बात साबित की है कि उनके कंधे कलाकार के तौर पर इतने मजबूत हैं कि वह इस सीरीज का आधार बन सकते हैं.दोनों ही कलाकारों ने सधा हुआ परफॉर्म किया है.शीबा चड्ढा, राजेश तैलंग ,अतुल कुलकर्णी, दिव्या दत्ता जैसे नामों ने वही किया है, जिसके लिए वह जाने जाते हैं. ये सभी पूरी तरह से अपने किरदार में रचे बसे नजर आते हैं.कुणाल रॉय कपूर के लिए सीरीज में ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन वह कॉमिक रिलीफ देते हैं. बाकी के किरदारों ने भी अपनी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है. इस सीजन नए चेहरों में अर्जुन रामपाल भी नजर आएं हैं.